एक रुपये को खींच लिया न? (Kahani)

November 1991

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कि सी व्यक्ति ने सुन रखा था कि “रुपया रुपये को खींचता है।” वह एक रुपया लेकर बैंक में खजाँची के पास जा खड़ा हुआ। अपना रुपया दिखाने लगा कि अन्य रुपये खिंच कर उसके पास आ जायें।

इस प्रयास से उसके हाथ का रुपया भी छूट गया और खजाँची के पास रखे रुपयों के ढेर में जाकर मिल गया।

व्यक्ति रोने लगा। खजाँची ने पूरी बात सुनी। उसके भोलेपन पर हँसा भी। रुपया वापस दे दिया और कहा तुमने जो सुना वह तो ठीक पर उसमें यह कमी रह गयी कि बहुमत अल्पमत को अपनी ओर खींच लेता है, ढेर ने तुम्हारे एक रुपये को खींच लिया न?

उस आधार पर दूरवर्ती लोगों को प्रक्षेपास्त्र को भाँति हानि पहुँचा सकता है या अपने चुम्बकत्व से उसे अपने पास खींच कर बुला सकता है। मेघनाद ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र चलाया था। वह अस्त्र शस्त्र जैसा नहीं था वरन् सिद्ध की गई आन्तरिक शक्ति का ही प्रहार था। महाभारत में ऐसे अनेक अद्भुत अस्त्रों का वर्णन है जो अग्नि बरसाते थे और दूसरे प्रकार के आश्चर्यजनक मारक परिणाम प्रस्तुत करते थे। उनकी काट भी विपक्ष तंत्र शक्ति के द्वारा ही करता था।

गायत्री उपासकों को इन पंक्तियों द्वारा सावधान किया गया है कि वे दक्षिणमार्ग ही अपनायें वाममार्ग ताँत्रिक मार्ग पर न चलें और न किसी को इस और उत्साहित करें। कुपात्रों को अनर्थ मार्ग बताने या चलाने वाला भी पाप का भागी होता है।


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