पादरी आगस्तीन ने एक नया गिरजा बनवाया। एक चित्रकार को बुलाकर प्रवेश द्वारा पर मृत्यु का बड़ा चित्र बनाने का आदेश दिया।पादरी का कथन था-जो मृत्यु का स्मरण न करेगा वह ईश्वर के दरबार में प्रवेश न कर सकेगा। चित्र बनकर तैयार हो गया। मौत के हाथ में तेज धार वाला कुल्हाड़ा था। पादरी ने पूछा यह क्यों? चित्रकार ने कहा-मौत सबको काट पीट कर रख देती जो है।
पादरी ने सुधार का निर्देश दिया और कहा “कुल्हाड़ा हटाकर उसके स्थान पर चाबी भर मौत के हाथ में थमा दो।”चित्रकार ने परिवर्तन का कारण पूछा तो संत आगस्तीन ने यही कहा “मृत्यु किसी को नष्ट नहीं करती। परिवर्तन का एक उपयोगी द्वार भर खोलती है।”
अनीति से कमाने वाले दूसरों द्वारा ठगे जाते हैं क्योंकि उनके संबंध में किसी को भी यह विश्वास नहीं होता कि यह न्यायोपार्जित धन है। जो बेईमानी से कमाया गया है, उसे बेदर्दी से खर्च करने में किसी को कोई बुराई प्रतीत नहीं होती। “वेश्या की कमाई पर भडुए गुलछर्रे उड़ाते रहते हैं” इस उक्ति को तब भली प्रकार चरितार्थ होते देखा जाता है जब अनीति की कमाई कई दूसरे अनैतिक लोगों द्वारा जिस-जिस प्रकार उड़ा ली जाती है।
महत्वाकांक्षाएं बुरी नहीं, पर उन्हें पूरा करने के लिए उपयुक्त क्षमता अर्जित करने का सामर्थ्य अपनाना चाहिए। जो तिकड़म भिड़ाकर उपलब्धियाँ हस्तगत करने के फेर में रहते हैं वे अपना चरित्र और चिन्तन दोनों ही गड़बड़ा लेते हैं। उनका व्यक्तित्व दो कौड़ी का बनकर रहता है।