नया उपाय (Kahani)

November 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सौ वर्ष पहले की बात है। अफ्रीका में जूतों की खपत की संभावना खोजने के लिए एक जापानी और एक अमेरिकी कम्पनी ने अपने एजेन्ट भेजे, ताकि इस क्षेत्र में व्यवसाय धसाने की बात पर विचार किया जा सके। अमेरिकन एजेन्ट ने एक सप्ताह के दौरे के बाद रिपोर्ट भेजी “यहाँ कोई जूता पहनना जानता तक नहीं। व्यापार की कोई संभावना नहीं है।” वह वापस लौट गया।

जापानी एजेन्ट रुका रहा उसने कम्पनी को रिपोर्ट भेजी “ यहाँ कोई जुता पहनना जानता तक नहीं। हम लोग बिना प्रतिस्पर्धा के उस देश में व्यवसाय चलाकर आसानी से मालामाल बन सकते हैं।”

जापानी दृष्टिकोण सही निकला और वे सचमुच माला माल बन गए। नया रास्ता भी तो उन्होंने खोजा। नया उपाय भी तो उन्होंने ही सोचा।

रीति से चलना चाहिए। विचार को केवल विचार मात्र बनाए रखने से कोई सिद्ध न होगा। सिद्धि के लिए विचारों तथा क्रियाओं का समुचित समन्वय भी करना होगा। जो केवल कल्पना के ही घोड़े दौड़ता रहता है, उसकी यह क्रिया उसे निष्क्रिय एवं निरर्थक बना देती है। विचार, सृजन की आधार शिला जरूर है, किन्तु तब ही जब वे मौलिक दृढ़ तथा कार्यान्वित हों। अन्यथा वे केवल कल्पना बन कर अपने विचारों पर उसे लिए उड़ते फिरेंगे और कहीं का नहीं रखेंगे। अतएव आवश्यक है जीवन में विचारों और क्रिया में सामंजस्य बिठाते हुए अग्रगामी हुआ जाए।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles