(1) गत अंक में ‘जागृत आत्माओं को युग आमन्त्रण’ छपा था। उस पर परिवार के विचारशील व्यक्तियों ने गम्भीरतापूर्वक विचार किया है और कितने ही भावनाशील परिजन उस पुण्य प्रयोजन के लिए अपने को समर्पित करने की अपनी तैयारी का समाचार भेज रहे हैं। ऐसे सभी लोगों से अनुरोध है कि वे भावावेश में कोई निर्णय न करें। स्थिति की गम्भीरता और भविष्य का सुविधाओं तथा कठिनाइयों पर गम्भीरता पूर्ण विचार कर लें। इस प्रकार का विचार विमर्श पत्र व्यवहार द्वारा सम्भव नहीं। इसके लिए व्यक्तिगत रूप से स्थिति के हर पक्ष पर विचार करने के लिए कुछ समय के लिए हरिद्वार आना ही नहीं यहाँ ठहरना भी आवश्यक है।
ऐसे सभी लोगों को अप्रैल, मई के ब्रह्म वर्चस सत्र में बुलाया गया है। जिन्हें सूचना विलम्ब से मिले वे एक महीने के लिए मई में भी आ सकते हैं। सत्र शिक्षा और विचार विनिमय तथा स्थिति का अध्ययन करने के उपरान्त ही किन्हीं का कोई कदम उठाना उचित होगा।
(2) बढ़ते हुए प्रचार कार्य की आवश्यकता पूरी करने के लिए इस वर्ष से युग गायकों की छह-छह महीने की नई शिक्षण प्रक्रिया आरम्भ की गई है। प्रशिक्षण 8 अप्रैल से आरम्भ होगा, पर दाखिला पूरे अप्रैल खुला रहेगा। कण्ठ और स्वर बोध की प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्र ही इसमें स्थान पा सकेंगे जो अनुत्तीर्ण होंगे उन्हें वापस लौटना होगा।
(3) कन्या प्रशिक्षण के अतिरिक्त ऐसी शिक्षा परित्यक्ताओं एवं विधवाओं के लिए आरम्भ की गई है, जिनकी गोदी में बच्चे नहीं हैं। उनकी शिक्षा में कमी को पूरा करने तथा शिल्प उद्योग द्वारा स्वावलम्बी बनाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएँ चलेंगी। एक वर्ष का शिक्षा व्यय तो उनके अभिभावकों को ही देना होगा। दूसरे वर्ष यदि उनकी इच्छा या उपयोगिता हुई तो शान्ति कुंज की सेवा प्रवृत्तियों में संलग्न रहने के लिए भी अनुमति मिल सकती है। ऐसी छात्राओं का निर्वाह मिशन की ओर से होता रहेगा। इस वर्ग की छात्राओं का प्रशिक्षण भी जुलाई से ही आरम्भ होगा। आवेदन भेज कर स्वीकृति उन्हें भी प्राप्त करनी चाहिए।
(4) युग निर्माण अभियान का सूत्र संचालक परिचय, प्रचार एवं मार्ग-दर्शन साप्ताहिक युग निर्माण द्वारा ही होता है। जिन्हें मिशन की गतिविधियों में रुचि है, उन्हें उसे नियमित रूप से पढ़ना तथा साथियों को पढ़ाना आवश्यक है। साप्ताहिक पढ़ने माँगने की उपयोगिता अखण्ड-ज्योति से कम नहीं समझी जानी चाहिए। उसके ग्राहक बनने में प्रत्येक परिजन में समुचित उत्साह होना चाहिए।
(5) सन् 78 संकल्प वर्ष है। गत वर्ष के तीन न्यूनतम कार्यक्रमों में जहाँ जो कमी रह गई हो उसे इन्हीं दिनों पूरा कर लिया जाना चाहिए। संकल्प वर्ष में जिनने जो करने का निश्चय किया हो उसकी जानकारी हरिद्वार भेजनी चाहिए। अखण्ड-ज्योति के प्रत्येक पाठक से आत्म-निर्माण, परिवार-निर्माण और समाज निर्माण के लिए ऐसे संकल्प करने की अपेक्षा की गई जिसमें एक का ही नहीं वरन् तीनों पक्षों का न्यूनाधिक समन्वय होता हो।
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