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April 1978

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“वह व्यक्ति सम्मान का पात्र नहीं जो धनी व संपत्तिवान हो, अपितु वह सम्मान का पात्र है जो अपनी सम्पत्ति का सदुपयोग कर उत्पादन व कल्याण कार्य में लगाता हो।

श्रेष्ठ बुद्धि व सद्विचार करने वाला विद्वान भी सम्मान का पात्र नहीं, यदि वह अपनी बुद्धि विचारों व आचरणों से लोगों को सद्कर्मों की प्रेरणा न देता हो।”

-वेली

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