ब्रह्मा जी की दो लड़कियाँ थी- एक कल्पना दूसरी यथार्थता। दोनों जिद कर रही थी हमें प्रधानता मिलनी चाहिए। बात पितामह तक पहुँची। उनने दोनों को प्यार से पास बुलाया और कहा जो तुममें से पहले आसमान छू कर दिखाये उसी को प्रधानता मिला करेगी।
कल्पना क्षण भर में उछली और आसमान छू लिया पर उसके पैर धरती पर न थे अधर में लटकी थी।
यथार्थता की बारी आई वह जमीन पर मजबूती से खड़ी तो थी पर बहुत प्रयत्न करने पर भी आसमान छूना उसके लिए संभव न हो सका।
ब्रह्मा जी ने कहा- तुम दोनों मिल कर ही प्रधानता पाने की अधिकारिणी हो सकती हो। अलग-अलग रहने पर तुम दोनों का एकाकीपन असफल और उपहासास्पद बना रहेगा।