च्युअंगत्सी (kahani)

November 1973

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चीन का दार्शनिक च्युअंगत्सी तालाब के किनारे बैठा मछलियाँ पकड़ रहा था।

राज्यमंत्री ने उनकी कीर्ति सुनी और मिलने आये थे। उनने कहा यह छोटा काम छोड़िये। हमारे साथ चलिए। ऊँचा सरकारी पद मिलेगा। च्युअंगत्सी ने तीन हजार वर्ष पुराने एक राजा की कथा सुनाई जिसकी समाधि में सोने की डिब्बी में रख कर एक पवित्र केकड़ा गाढ़ा गया था। मंत्री ने वह कथा सुनी थी। सो बोला- बेचारे अभागे केकड़े ने सोने की डिब्बी में बंद होकर क्या पाया? अच्छा था वह पानी में ही पूछ हिलाता रहता और वहाँ सुख चैन से मरता जीता। च्युअंगत्सी खिल-खिलाकर हँस पड़े और बोले क्या आप मुझे उस केकड़े से भी अधिक अभागा बनाना चाहते हैं।


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