असमर्थता प्रकट करते हुए (kahani)

November 1973

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

स्वामी रामतीर्थ सन्यास से पूर्व जिस मुहल्ले में रहते थे उसमें वैश्याएं भी रहती थी। मुहल्ले वालों ने सरकार को अर्जी दी कि इन वैश्याओं को यहाँ से हटाया जाय। अर्जी पर हस्ताक्षर करने के लिए रामतीर्थ से भी कहा गया।

उनने अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए कहा- मैंने आज तक यहाँ कोई वैश्या नहीं देखी। हर घर में इधर तो मृदुल मनोहर बहने ही रहती हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles