यह सच है कि एलोपैथी के अंतर्गत सर्जरी ने आश्चर्यजनक प्रगति की है और निरन्तर की शोध ने शरीर शास्त्र के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करने का अवसर दिया है। तुरन्त चमत्कार दिखाने वाली औषधियाँ भी इसके पास है। इतना होते हुए भी उसकी आधार भूत रीति-नीति ऐसी है जिससे रोगी को आरम्भिक लाभ के बावजूद अन्ततः घाटा ही उठाना पड़ता है।
एलोपैथी ग्रीक भाषा का संयुक्त शब्द है। इसमें दो शब्द जुड़े है - एलीस अर्थात् दूसरा। पाथोस अर्थात् दुख। एलोपैथी अर्थात् वह विज्ञान जो एक के साथ दूसरा दुख पैदा करता है। प्रस्तुत अर्थ को अमेरिका की डब्ल्यू. वी. साउण्डर्स कम्पनी द्वारा प्रकाशित “अमेरिकन इलस्ट्रेड मेडिकल डिक्शनरी में- वेक्टर के प्राचीन शब्द कोष में- आक्सफोर्ड डिक्शनरी में- लंदन से प्रकाशित स्टेडमैन्स मेडिकल डिक्शनरी में- समान रूप से पुष्टि की गई है। सबने एलोपैथी शब्द का लगभग एक ही अर्थ लिया है- एक बीमारी का इलाज करने के लिए दूसरी बीमारी पैदा करना।
यह तो ऐसी ही बात हुई जैसे कीचड़ में पैर फिसल जाने पर उसकी लज्जा से बचने के लिए पूरे पैर को कीचड़ में लोट-पोट कर लेना। एक हाथ में दर्द उठे तो दूसरे हाथ में हथौड़ा मार लेना। घर के एक कोने में आग लगने की कुरूपता मिटाने के लिए पूरे घर में आग लगा देना। घर में घुसे चोर से निपटने के लिए डाकू को आमन्त्रण पूर्वक बुला लाना।
रोग के आक्रमण की आशंका रहने पर शरीर में उस बीमारी की स्थिति स्वेच्छापूर्वक पैदा कर ली जाती है। चेचक, हैजा, क्षय आदि के निवारण के लिए सुरक्षा के टीके लगा कर उसी बीमारी को इम्यूनिटी के रूप में पैदा किया जाता है, रोग निवारण के लिये एंटीबायोटिक दवाएँ ली जाती है। एण्टी का अर्थ है- विरुद्ध। बायोटिक्स का अर्थ है’ जीवन। ग्रीक लैटिन के इस संयुक्त शब्द का अर्थ है Detri mental hazardous to Life. जीवन घातक।
इंग्लैण्ड में पागल खानों के अध्यक्ष डा. मार्टिन राथ ने डाक्टरी संघ द्वारा प्रकाशित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में एक लेख लिख कर पागलपन सम्बन्धी चिकित्सा में औषधि उपचार की असफलता स्वीकार करते हुए लिखा है- पागलों को इन पागलखानों में प्रायः ऐसे ही दिन काटने पड़ेंगे क्योंकि हमारे पास उनकी बीमारी का कोई समुचित इलाज नहीं है।
फ्राँस के डाक्टर ई. वाल्टेयर ने एलोपैथी के सबसे तेज विष- सबसे अच्छी दवा के सिद्धान्त पर करारे व्यंग किये है। डा. डब्ल्यू. एच. हाइट के एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान के मूल भूत सिद्धान्तों को अपूर्ण और अनुमानों के आधार पर खड़ा किया गया बताया है। हीलिंग एण्ड कान्क्वेस्ट आफ पेन के लेखक डा. जे. ओल्डफील्ड ने लिखा है। वर्तमान चिकित्सा विज्ञान अभी प्रयोग मात्र है। इसमें वैज्ञानिक अंध विश्वास जैसे तथ्य भरे पड़े है।
प्रस्तुत रोग की निवृत्ति के अत्युत्साह में जो तीव्र विषों से भरी दवाएँ रोगी को दी जाती है वे कुछ ही समय अपना जादू दिखा कर बाद में ऐसी नई विकृतियाँ उत्पन्न करती है जो पहले रोग से भी भयंकर हो। मलेरिया के इलाज में प्रयुक्त कुनैन ने कितने ही लोगों को कान बहने और आजीवन बहरे रहने का व्यथा से घेर लिया। जल्दी बुखार उतारने की दवा ने दो दिन तो चमत्कार दिखाया पीछे रोगी को लकवा का शिकार बनना पड़ा। ऐसी घटनायें आये दिन देखने को मिलती रहती है। एलोपैथी के प्रति बढ़ते हुए अन्धविश्वास के पीछे उस अदूरदर्शिता को भी समझा जाना चाहिए जो आरम्भ में चमत्कारी दिखा कर पीछे के लिए अधिक घातक दुष्परिणाम छोड़ती है।