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Akhand Jyoti
Year 1972
Version 2
श्रद्धा-सुमन (Kavita)
श्रद्धा-सुमन (Kavita)
February 1972
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Page Titles
कर्म साधना की अनिवार्यता
धर्म एव सनातनो
प्रेम का प्रयोग केवल उच्चस्तर पर
मनुष्य का सूत्र संचालन क्या अदृष्ट से होता है?
ईश्वर के दर्शन
हम अपनी क्षुद्रता और मर्यादा भी समझें
सौर परिवार जैसी रीति नीति, मानव परिवार भी अपनायें
सौंदर्य की पराजय
प्रार्थना का मतलब चाहे जो माँगना नहीं है।
Quotation
वास्तविक धर्मात्मा
ब्रह्माण्ड में कान लगाइये मनोवाँछित खबरें पाइये
आचार्य की वेश-भूषा भी आचार्यत्व की द्योतक हों
शरीर एक विद्युत संस्थान
Quotation
बिना आँखों के भी देखा जा सकता है।
Quotation
साहसी ही श्रेय, सम्मान के अधिकारी
Quotation
अध्यात्म विज्ञान और उसका महान प्रयोजन
Quotation
शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन पर निर्भर है।
Quotation
दयानिधान भगवान के महान अनुदान
Quotation
आदमी का संकल्प-बल महान है
कवि भी राष्ट्र-प्रहरी
माँसाहार की बढ़ती हुई प्रवृत्ति हर दृष्टि से घातक
‘कोलाहल’ एक भयावह जीवन संकट
Quotation
शाश्वत सौंदर्य की शोध
आत्मिक प्रगति का आधार-संवेदना, सहानुभूति
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दुर्व्यवहार-दुरुपयोगकर्त्ता के ही प्राण लेता है।
Quotation
परिजनों ने गुरुदेव को जैसा देखा पाया
Quotation
गुरुदेव और उनकी दिव्य अनुभूतियाँ
श्रद्धा-सुमन (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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