स्थूल दृष्टि से केवल हाथ, पैर, कान, नाक, मुँह और शरीर के अन्दर माँस के लोथड़े दिखाई देने पर भी शरीर पूर्णतया स्थूल नहीं है। इसमें चेतन शक्तियों का स्थान मुख्य है और वहीं शक्तियाँ ही शारीरिक गतिविधियों का संचालन करती हैं। यह शक्ति अन्य शक्तियों यथा ताप-ध्वनि विद्युत, प्रकाश की भाँति परस्पर एक दूसरे में बदली जा सकती है। सिद्धियाँ इन्हीं शक्तियों के प्रयोग का ज्ञान मात्र है।
यह एक सैद्धान्तिक बात हुई आमतौर पर प्रत्यक्ष प्रमाण पाये बिना बहुत कम लोग इस तथ्य पर विश्वास करेंगे कि शरीर में वस्तुतः ऐसी कोई जबरदस्त शक्ति है। यहाँ एक घटना प्रस्तुत की जा रही है जो उपर्युक्त सत्य का सम्पादन और समर्थन करती है। घटना आबू नगर जिला सिरोही (राज) के एक होटल मालिक श्री अनन्तराय नान जी भाई मेहता से संबंध रखती है।
एक दिन श्री मेहता जी ने बड़े स्नेह से एक बच्चे को छूने का प्रयत्न किया तभी बच्चे के शरीर में जोरदार झटका लगा बच्चा ढाई फुट परे जा गिरा। मेहता जी परेशान हुये आखिर बात क्या है? तभी उनकी धर्मपत्नी एक बर्तन में उन्हें पीने का पानी देने आई अभी गिलास उनके हाथ में ही था कि मेहता जी ने लेने के लिये उसे पकड़ा और बस गजब हो गया। धर्मपत्नी के हाथ को 12 वोल्ट बिजली का जोरदार करंट लगा। बेचारी गिरते-गिरते बचीं। उन्होंने ही बताया देखो जी तुम्हारे शरीर में बिजली है।
बात आगे बढ़ी, मुहल्ले पड़ोस के लोग आये किन्हीं ने उनके शरीर को छूकर अनुभव किया किसी ने उनके हाथ में धातु का कोई टुकड़ा देकर। धातुएं पकड़ते ही उससे चिनगारियाँ (Sparking) प्रारम्भ हो जाती हैं। लोग हैरतअंगेज रह गये आखिर मेहता जी के शरीर में बिजली कहाँ से आ गई।
विज्ञान के विद्यार्थी और अध्यापकों ने भी जाँच की और माना कि शरीर में कोई ऐसी शक्ति है शरीर की किसी विशेष परिस्थिति में अर्थात् विद्युत वाहिनी नाड़ियों में कोई अव्यवस्था उत्पन्न हो जाने के कारण वह शक्ति विद्युत शक्ति में बदल जाती है।
मेहता जी के शरीर में दिन में बारह बार विद्युत आवेश उभरता है और हर दूसरे दिन उभरता है। यह करेंट 12 वोल्ट ताकत के बराबर होती है। यह अनुभूति उन्हें पिछले दिनों लगातार डेढ़ माह तक होती रही तब भुज से निकलने वाले ‘कच्छ मित्र’ के संवाद दाता ने स्वयं जाकर उनका परीक्षण किया और सत्य पाया। यह विवरण 17 अप्रैल सन् 1971 के कच्छ मित्र में छपा भी था। अन्य स्थानीय डॉक्टरों ने भी उनकी जाँच की पर वे