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February 1972

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‘गलती न करने वाली मशीन’ और ‘गलती करने वाले मनुष्य’-इन दोनों में से किसी एक को पसन्द करना पड़े तो मनुष्य को ही पसन्द करना पड़ेगा। गलतफहमी से बहुधा मनुष्य का जन्म होता है, पर मशीन से किसी भी दशा में मनुष्य नहीं निकल सकता।

-टैगोर

बिजली कहाँ उत्पन्न होती है यह जान नहीं पाये। श्री मेहता जी का कथन है कि उनके शरीर में जब-जब करेंट आती है उन्हें कोई परेशानी महसूस नहीं होती वरन् स्फूर्ति और चैतन्यता की अनुभूति होती है।

श्री मेहता जामखभ्यालिया के रहने वाले हैं 1964 से पूर्व वे पूर्व अफ्रीका में रहे हैं। अपने इस अजूबे का कारण वे स्वयं भी नहीं जानते पर वे इतना अवश्य मानते हैं कि विद्युत का कारण कोई बाह्य उपकरण या कारण ने होकर मेरे शरीर के अन्दर ही कहीं है। क्या इस उदाहरण से लोग शरीर में छिपी अदृश्य शक्तियों की बात मानेंगे और उनकी शोध के लिये तत्पर होंगे यह देखने वाली बात है।


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