सफलता का रहस्य

December 1971

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सफलता का रहस्य-

एक बार जर्मन दार्शनिक ने स्वामी दयानन्द से कहा ‘स्वामी जी ! आपका बलिष्ठ शरीर और ओजस्वी मुखमंडल देखकर मैं अत्यन्त प्रभावित हूं। क्या मुझ जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए यह सम्भव है कि आप जैसा सशक्त शरीर और तेजयुक्त मुख मंडल प्राप्त हो सके ?’

‘क्यों नहीं ! जो व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहता है बना सकता है। हर व्यक्ति अपनी कल्पना के अनुरूप ही बनता बिगड़ता रहता है। तुम्हें सर्वप्रथम एक लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए फिर उसकी पूर्ति के लिए संकल्प करके तदनुकूल प्रयत्न करना चाहिए। एकाग्र मन से किये गये कार्य एक दिन सफलता की मंजिल पर अवश्य लाकर खड़ा कर देते हैं।’


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