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Akhand Jyoti
Year 1971
Version 2
VigyapanSuchana
VigyapanSuchana
December 1971
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वसन्त पर्व पूरे उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाय।
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Page Titles
व्यर्थ का उलाहना
VigyapanSuchana
प्रस्तुत कठिनाइयों में इसके अतिरिक्त कोई चारा नहीं
VigyapanSuchana
प्रेरणा और प्रकाश भरे इस पुण्य अवसर पर हमारी भावनायें उभरें
सत्य में ही सर्वस्व सन्निहित
Quotation
मनुष्य महान है और उससे भी महान उसका भगवान
Quotation
कर्त्ता बिना कर्म कैसे हो सकता है ?
शरणागत वत्सलता और कर्मवीरता
मन एक सूक्ष्म प्राकृतिक शक्ति
पुनर्जन्म की मान्यता-प्रामाणिकता की कसौटी पर
सच्ची साधना
प्रेम की सृजनात्मक शक्ति
Quotation
जलवायु के आधार पर भी जीवित रहा जा सकता है।
अपने पापों के लिए पछतावा हुआ
जीव जन्तुओं से भी कुछ सीखें
मानवता की दृष्टि
मात्र संयोग ही नहीं - अदृश्य सहयोग भी
Quotation
पाँच प्रेत - प्रकार
स्वामी रामानुजाचार्य
स्थूल शरीर की रह ही सूक्ष्म शरीर का भी ध्यान रखें
मुट्ठी में मौत और जेब में जीवन
बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला
कौन है वह प्रेरक शक्ति ?
शास्त्री का मंगलवार
प्रेम तत्व-वैज्ञानिक विश्लेषण और उसका महान महत्व
भगवान ही सबका पालक है
अवांछनीय बन्धनों से मुक्त होने की आवश्यकता
क्षात्र बल की पराजय
सत्तर लाख मौतें बच सकती है।
शशिभूषण बैनर्जी की नोकरो के प्रति भावनाए
औषधियों का अन्धाधुन्ध प्रयोग और उसका दुष्परिणाम
हिमालय के अमर आदम
वन्देमातरम
सिद्धे बिन्दु महायत्ने, किंन सिद्धयति भूतले
आचार्य हेमचन्द्र
युग परिवर्तनकारी सत्ता का प्राकव्य
निःस्वार्थ पद्मनाभ
चेतना की प्रचण्ड ज्योति ज्वाला-कुण्डलिनी
अपनों से अपनी बात
सफलता का रहस्य
आत्मा-भव की शक्ति
Quotation
मत गीत रचो दरबारों के (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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