मानवता की दृष्टि

December 1971

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फ्राँस के महावीर शासक नेपोलियन ने आस्ट्रिया पर आक्रमण किया और जगह-जगह उसकी सेनाओं को हराता हुआ राजधानी विएना नगर पर जा पहुँचा। उसने सन्धि का झण्डा देकर दूत को नगर में भेजा, पर नागरिकों ने जोश में आकर उसे मार डाला। इससे नेपोलियन बड़ा क्रोधित हुआ और उसने अपनी तोपों को नगर पर गोलाबारी करने की आज्ञा दी।

वहाँ के अनगिनत विशाल भवन तोपों से टूट-फूट गये। एकाएक नगर का द्वार खुला और उसमें से दूत सन्धि का झंडा लिये बाहर निकला। नेपोलियन ने दूत का सम्मान करके सन्देश पूछा। दूत ने कहा कि नगर में आपकी तोपों के गोले जहाँ गिर रहे हैं, वहाँ से समीप ही सम्राट की प्यारी पुत्री बीमार पड़ी है। अगर तोपें इसी प्रकार चलती रहीं तो विवश होकर सम्राट को अपनी पुत्री को अकेली छोड़कर चला आना पड़ेगा।

नेपोलियन के सेनापतियों के मत से तोपों से गोला वारी करना आवश्यक था, पर नेपोलियन ने कहा कि युद्ध नीति की निगाह से तो आपकी बात ठीक है, पर मानवता की दृष्टि से एक रोगी राजकुमारी पर दया करना उससे भी अधिक महत्व की बात है तोप वहाँ से हटाली गई।


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