घटना इंग्लैंड के चेशायर नगर की है। यहाँ रहने वाली जिना ब्यूचम्प जो एक सेक्रेटरी का काम करती थी एक दिन विक्टोरिया स्टेशन पर बैठी अपनी माँ से बातचीत कर रहीं थी। स्टेशन वे इसलिए गई थी कि उन्हें ट्रेन द्वारा मेन्स्टन सिटी जाना था और वहाँ से हवाई जहाज द्वारा ‘कारेटा ब्रेवा’।
ट्रेन आने में अभी थोड़ी देर थी इसीलिये माँ-बेटी एकान्त में बैठी बातचीत कर रही थी। अभी थोड़ा ही समय हुआ था कि एका-एका ‘जिना’ बोली- माँ मुझे बार बार डर लग रहा है और ऐसा लगता है कि मरे अवचेतन मन में कोई कह रहा है कि यह यात्रा खतरे से खाली नहीं है। मैं यह यात्रा नहीं करूंगी।
माँ बोली- ‘बेटी ! यह तेरा वहम है। तू तो व्यर्थ ही डर रही है इस तरह का अन्ध-विश्वास एक प्रकार का पिछड़ापन है तुझे ना करते देखकर बड़ा असमंजस हो रहा है। इस पर जिना बोली- माँ तुम कुछ भी कहो पर मुझे तो यह विश्वास है कि संसार अपनी प्रेरक सत्ता से रिक्त नहीं मेरे अन्तःकरण में उठ रही दैवी स्फुरणा झूठ नहीं हो सकती।’
माँ ने बहुतेरा समझाया पर जिना ने एक न सुनी वह फिर जाने के लिए तैयार ही नहीं हुई। माँ ने यात्रा अकेले ही की। यात्रा क्या थी मौत का बुलावा था। कहते हैं संसार के प्राणियों की जन्म मृत्यु का हिसाब रखने वाली कोई सत्ता है जिसे यमराज कहते हैं वे हर व्यक्ति को निश्चित समय पर मृत्यु के लिए प्रेरित कर देते हैं और संसार के पालक पोषक संरक्षक भगवान जिसे बचाना चाहते हैं मौत के मुँह से झपट कर बचा लेते हैं कोई अनुभव करे या न करे कि संसार सचमुच सूक्ष्म शक्तियों के विधान पर चल रहा है-यहाँ प्रस्तुत की जा रही घटनायें इस बात की पुष्टि करती है।
जिना को स्टेशन से घर लौटे 4-5 घण्टे ही हुये थे तभी-’अरजैन्ट’ (द्रुतगामी) तार आया। अब तक जो मात्र प्रेरणा और आशंका थी वह सच निकली। तार में सूचना थी- आपकी माँ श्रीमती व्यूचैम्प जिस जहाज से कोरटा ब्रेवा जा रही थी वह परपिगनान (फ्राँस) के पास गिर कर नष्ट हो गया और आपकी माँ की मृत्यु हो गई।
इस विमान दुर्घटना में विमान में सवार एक भी व्यक्ति नहीं मरा। जिना को अन्तिम समय प्रेरणा और कार्यक्रम का परिवर्तन क्या किसी भूत और भविष्य को जानने वाली मनुष्य से उच्च सत्ता का काम नहीं है ?