मुट्ठी में मौत और जेब में जीवन

December 1971

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विन्डसर स्टेट (अमेरिका) की विधान सभा के सम्मानित सम्माननीय सदस्य क्लेरेंस एडम, राजकीय पुस्तकालय के निर्देशक भी थे। यह पद उन्होंने बड़े यत्न से प्राप्त किया था सो भी केवल स्वाध्याय का शौक पूरा करने के लिये एडम की दिनचर्या में सर्वाधिक घण्टे पढ़ाई के थे-स्वाध्याय से हर विभूति खरीदी जा कसती है यह उनकी मान्यता थी और कहते हैं अपने इस विश्वास से उसने एक दिन अपनी मृत्यु को भी वश में करके दिखा दिया।

दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य एक दिन क्लेरेंस एडम के हाथ आस्टाइन एडम की पुस्तक मैस्मरेजम पर पच्चीस रहस्यमय पाठ (ट्वेन्टीफाइव सीक्रेट लेसंस इन मैस्मरेजम) और डाक्टर बर्नहम की हिप्नोटिज्म का इतिहास (हिस्ट्री आफ हिप्नोटिज्म) हाथ लग गई। पुस्तकें अभी तक पूरी नहीं पढ़ी जा सकी थी कि एडम के मन में इस विद्या के प्रयोग की तीव्र इच्छा उठ खड़ी हुई। एडम मानवीय चेतना की अद्भुत शक्तियों के प्रमाण थे यद्यपि उन्होंने अपराधी जीवन प्रारम्भ कर दिया किन्तु इस बात के प्रमाणीकरण में कोई त्रुटि नहीं आई कि मनुष्य की प्राण-चेतना सचमुच ही एक आश्चर्यजनक शक्ति है प्राण शक्ति के प्रयोग से व्यक्ति अद्भुत कार्य कर सकता है। सिद्धियाँ प्राण शक्ति के ही नियन्त्रण का अद्भुत परिणाम होती है।

एडम ने पहला प्रयोग वाटरमैन फ्लावरा मिल में किया। एक दिन घनी रात के अन्धकार में एडम उस मील के फाटक में जा घुसे। न तो सेंध काटी और न ही संतरी को जबरन क्लोरोफार्म सुँघाया। जड़ चेतन किसी को भी प्रभावित कर मन मर्जी काम ले लेना तो अब मात्र उनकी दृष्टि का काम था; हिप्नोटिज्म और मैस्मरेजम का उन्होंने कुछ इस तरह अभ्यास किया। फ्लावरा मील खजाने का चौकीदार हाथ में रायफल लिये खड़ा था। एडम ने कोई मार-पीट नहीं की। भरपूर दृष्टि डाली चौकीदार के चेहरे पर। नजरें चार हुई न जाने कौन सा मन्त्र फूँका एडम ने कि चौकीदार जहाँ था वहीं खड़े का खड़ा रह गया। मानो उसे खड़े खड़े सोने की बीमारी हो गई हो। एडम अब तिजोरी के पास पहुंचा ताला खोला बिना किसी चाभी के जड़ पदार्थ भी अब उनकी दृष्टि प्रखरता के दास बन गये थे। तिजोरी से 15 हजार डालर निकाले। ताला उसी तरह बन्द कर दिया और बड़े मजे से वहाँ से चले आये मानो डालर चुराये नहीं हों वरन् अपनी ही सम्पत्ति लेकर निकले हों। चौकीदार अभी तक यन्त्रवत् खड़ा था। एडम के जाने के बाद उसे पता चला कि कोई आया था और तिजोरी की चोरी हो गई। प्रातःकाल पुलिस के सामने उसने बयान दिया-एक आदमी आया उसने मेरी ओर देखा तो मैं संज्ञाहीन सा खड़ा रह गया उसने सारा काम किया पर मुझे पता नहीं कौन था क्यों मैं न तो बोल सका और न ही हिल डुल सका। चोरी उसने मेरे देखते की पर मुझे ऐसा लगता था कि मेरे ऊपर हल्का सा धुयें का पर्दा पड़ा हुआ है और मैं उसमें बन्दी हूँ कुछ कर नहीं सकता था मैं, जब तक वह व्यक्ति यहाँ रहा।

इस घटना के कुछ ही दिन बाद बिन्डसर के एक जौहरी की दुकान में एक आदमी आया, उसने अपनी विलक्षण दृष्टि से जौहरी को देखा। जौहरी इस तरह निस्तब्ध रह गया मानो वह काष्ठ विनिर्मित हो उस आगन्तुक ने अच्छे अच्छे जवाहरात, जौहारी और बाजार की भारी भीड़ के बीच अपनी जेब में भरे और वहाँ से चला गया देखा सबने पर किसी ने न पहचाना, न प्रतिरोध किया, कौन आया, कहाँ गया यह भी किसी को पता नहीं था पीछे जौहरी से पुलिस ने बयान लिये तो उसने भी वही शब्द दोहराये जो पहले चौकीदार ने कहे थे।

एक दिन समुद्र की हवा खाने के लिये बिन्डसर के एक करोड़पति अपनी धर्मपत्नी के साथ कार पर आ रहे थे उनकी भेंट अनायास ही इस जादूगर से हो गई। उसे उनके सारे जेवर और घड़ियाँ उतरवा लीं और उन्होंने ऐसे दे दिया मानो उपहार दे रहे हों पीछे जो बयान दिये उन्होंने, वह पहले वाले पीड़ितों के बयानों से अक्षरशः मिलते जुलते थे।

इन खबरों ने एकबार तो बिन्डसर राज्य में तहलका मचा दिया। कुबेरों की नींद हराम हो गई। एक मिल मालिक ने तो अपने बंगले के सभी निकासों पर स्वचालित बन्दूकें लगवा दी। इन्हीं बन्दूकों के बल पर क्लेरेंस एडम पकड़े जा सके। एक रात वे जब इस बंगले के दरवाजे पर पहुँचे और अन्दर प्रवेश करने का प्रयत्न करने लगे तो बन्दूक ने उन्हें घायल कर दिया। धड़ाके की आवाज सुनकर लोग दौड़-दौड़ आये। एडम को पहचानकर लोग आश्चर्यचकित रह गये। अदालत में एडम ने अपने ऊपर लगाये गये वह सारे अभियोग स्वीकार कर लिये और यह भी मान लिया कि यह सब उन्होंने सम्मोहन विद्या (हिप्नोटिज्म) के द्वारा किया है।

यद्यपि उन्होंने अपराध जगत में शौकिया प्रवेश किया था किन्तु अपराध तो अपराध ही ठहरा-उन्हें दस वर्ष सश्रम कारावास का दण्ड दिया गया और वे शहर की अपेक्षा बिन्डसर की पहाड़ी जेल में भेज दिये गये। जेलर उनकी भद्र वेष भूषा और साँस्कृतिक रहन-सहन से बहुत अधिक प्रभावित हुआ से वह एडम के लिये अनायास ही उदार बन गया। इस उदारता का लाभ एकबार फिर एडम को मिला। उसने जेलर की सहायता से अपने लिये कुछ पुस्तकें पढ़ने के लिये प्राप्त करलीं इन्हीं पुस्तकों में उसकी वह दोनों मनचाही पुस्तकें भी थी। दरअसल अन्य पुस्तकें तो साथ में एडम ने केवल इसलिये मंगवाई थी कि किसी को उस पर शक न हो जाये। यह पुस्तकें उसने अपनी विद्या को आगे बढ़ाने के लिये मंगाई थी सो एकबार फिर से जेल में ही उसका साधना-अनुष्ठान चल पड़ा और दूसरे लोगों को इस बात की कानों-कान खबर न हुई।

एक दिन दैवयोग से जब एडम अपने कमरे की चीजों पर हिप्नोटिज्म का अभ्यास कर रहे थे तब उन्हें जेल के एक अन्य डाक्टर कैदी ने देख लिया, उसका भी हिप्नोटिज्म सीखने का मन था। धीरे-धीरे दोनों में बातचीत होने लगी और यही बातचीत एक दिन प्रगाढ़ मैत्री में बदल गई।

किन्तु इन्हीं दिनों एडम बीमार पड़ गये उनका इलाज हुआ पर वे अच्छे हुए ही नहीं। एक दिन अपने डाक्टर मित्र के कमरे में प्राण त्याग दिये। जेल के डाक्टर ब्राउस्टर ने उनकी अत्यन्त परीक्षा की और उन्हें मृत घोषित कर मृत्यु का प्रमाण पत्र भी दे दिया। एडम के भतीजे विलियम डान को वह शव भी सौंप दिया गया। शव ले जाकर विलियम डान ने बिन्डसर के कब्रगाह के संरक्षक को सौंप दिया ताकि अगले दिन उसे एक सुरक्षित कब्र में दफनाया जा सके। एडम का शव एक संदूक में कफ़न लपेट कर रख दिया गया।

जाड़े के दिन थे, उस दिन तो और भी भयंकर शीत थी, हिमपात हो रहा था ऐसे समय तीन चार व्यक्ति उस कब्रिस्तान में प्रविष्ट हुये और जिस पेटी में एडम का शव था उसके पास गये। सन्दूक खोलकर उनका शव निकाला और उसके स्थान पर उन्होंने अपने साथ लाये शव को लिटा दिया। ताला जैसे का तैसा बन्द कर वह लोग बाहर आ गये और घनघोर अन्धकार में न जाने कहाँ खो गये। इस बार कब्रिस्तान के संरक्षक के साथ भी वही सम्मोहन हुआ वह सब कुछ देखते हुये भी कुछ कर न सका पर उसने जो रिपोर्ट दी-उससे यह पता चल गया कि लाश बदली गई और जिसने यह सारा काम किया उसका हुलिया डॉ. मार्टिन जैसा था। दूसरे दिन एलियास से खबर मिली कि वहाँ से एक शत की चोरी गई है। लोगों ने जाकर बदले हुये शव को खुलवा कर देखा पर उसका चेहरा कुछ इस तरह विकृत था कि पहचान में ही नहीं आया जबकि एडम का शव में किसी प्रकार के दाग धब्बे नहीं थे। तो भी यह रहस्य रहस्य ही बना रह गया।

कुछ दिन बीते बिन्डसर का एक नागरिक कनाडा आया। वहाँ वह एक होटल में खाना खाने पहुँचा तो यह देखकर अवाक् रह गया कि वहाँ एडम और डॉ. मार्टिन दोनों साथ-साथ बैठे भोजन कर रहे है। वह बहुत घबराया, जब तक सम्मल कर पुलिस को सूचना दे तब तक वह दोनों व्यक्ति वहाँ से जा चुके थे। घटना अखबारों में छपी तो एकबार फिर से बिन्डसर के धन कुबेर काँप गये। इस बीच कई स्थानों पर उसके देखे जाने की खबरें मिली। सभी खबरें विश्वस्त व्यक्तियों द्वारा दी गई थी फलस्वरूप एकबार फिर से पुलिस और सी.आई.डी. विभाग सतर्क किया गया। पर एडम पकड़ा नहीं जा सका। कहते हैं उसने ओझल और अन्तर्धान होने की विद्या जान ली थी यही नहीं उसने अपने शरीर की हर अनैच्छिक क्रिया पर नियन्त्रण प्राप्त कर लिया था। एक क्षण में मर जाना और दूसरे ही क्षण जीकर काम में लग जाना उसके लिये बाँये हाथ का खेल था।

आखिरी भेंट एक सी.आई.डी. ऑफिसर से अमेरिका के ही टोरन्टो नगर में हुई। एडम ने अधिकारी से काफी देर तक बातचीत की। जैसे ही पुलिस के सिपाही गिरफ्तार करने के लिये सी.आई.डी. ऑफिसर का संकेत पाकर आगे बढ़े और उसे चारों ओर से घेरे में ले लिया, एडम एकाएक अन्तर्धान हो गया। सी.आई.डी. अधिकारी तथा सिपाही एक दूसरे का मुँह ताकते खड़े रह गये। इसके बाद एडवर्ड स्मिथ ने उसका विस्तृत परिचय छापा और स्वीकार किया कि उसके पास कोई अद्भुत योग शक्ति थी जो किसी भी भौतिक शक्ति से कहीं अधिक समर्थ थी किन्तु उसके बाद से आज तक एडम के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया कि वह कहाँ गया है, भी या नहीं और है तो लोगों को दीखता क्यों नहीं ?

यह घटना भारतीय योगियों की सी सिद्धि और प्राण नियन्त्रण की जैसी घटना है उससे जीवनी शक्ति की विलक्षणता, विलगता और समर्थता का ही प्रतिपादन होता है।


" यदि मनुष्य केवल यही समझ पाते कि भलाई करने के अतिरिक्त सुरक्षा का एनी कोई उपाय नहीं,तो वे कितने प्रसन्न होते।"

-जॉन फाउंटेन




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