मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं है

February 1970

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जार्ज बर्नार्ड शा ब्रिटेन के प्रसिद्ध साहित्यकार ही नहीं, माने हुए शाकाहारी भी थे। एक बार उन्हें एक भोज में सम्मिलित होने का निमंत्रण मिला। उस भोज में शाकाहारियों के खाने के लिए कोई चीज नहीं थी। एक सलाद ही ऐसा था, जिसे खाया जा सकता था।

भोज शुरू हुआ। सब लोग भोजन करने लगे। शा बेचारे पहले तो चुप बैठे रहे। फिर सलाद ही खाने लगे। यह देखकर उनके पास बैठे हुए एक सज्जन बोले-मिस्टर शा! इतनी स्वादिष्ट चीजों के होते हुए भी आप यह क्या खा रहे हैं?

इस पर शा ने बड़ी सादगी से उत्तर दिया- ‘मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं है, महोदय! इसमें केवल साग-सब्जियों के लिए जगह है, मुर्दों के लिए नहीं।’


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