नारदजी ने खिन्न होकर प्रजापति ब्रह्मा से कहा- ‘भगवन्। मनुष्य ही यथेष्ट था आपने यह संसार भर के जीव-जन्तु बनाकर उन्हें व्यर्थ कष्ट क्यों दिया?’
भावनाओं की गहराई में डूबते हुए ब्रह्माजी ने कहा- “जीव अधःपतन को रोकने के लिए कोई और उपाय भी तो नहीं था नारद।”