ज्ञानार्जन के स्त्रोत सूखे कि मृत्यु हुई

February 1970

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‘शीघ्र मृत्यु से बचना है तो मानसिक व्यायाम कभी भूलकर भी बंद न करें। मानसिक व्यायाम अर्थात् स्वाध्याय। स्वाध्याय का अर्थ कुछ भी पढ़ना नहीं। जो विषय आप नहीं जानते उसका अध्ययन कीजिए। किसी ऐसे विषय का अध्ययन कीजिए, जिससे आपको अपनी खोपड़ी खुजानी पड़े।

यह शब्द अमेरिका के 67 वर्षीय डॉ. क्वाट्रज के है। डॉ. क्वाट्रज का कहना है कि मनुष्य की मृत्यु वृद्धावस्था के कारण नहीं होती। मानसिक संस्थान की क्रियाशीलता के रुकने के कारण होती है। जो लोग निरंतर क्रियाशील रहते हैं, उनकी आयु लंबी होती है। यही नहीं वे अपने शारीरिक विकारों को भी दाब बैठते हैं, उन पर शारीरिक त्रुटियों का भी दुष्प्रभाव परिलक्षित नहीं होने पाता।

डॉ. श्वार्टज के मत के अनुसार अपने देश के ऋषियों, महर्षियों के जीवन का अध्ययन करें तो विश्वास हो जाएगा कि उनके दीर्घायुष्य का कारण उनकी मनोचैतन्यता ही थी। शारीरिक श्रम के साथ में मानसिक दृढ़ता और विचारशीलता के कारण वे सैंकड़ों वर्षों की आयु हंसते हुए जीते थे।

अपने कथन की पुष्टि में डॉ. श्वार्टज ने एक 84 वर्षीय अमेरिकन व्यापारी को प्रस्तुत किया। इस व्यापारी में अपने व्यापार के लिए नई-नई बातें खोजने की क्षमता है। वह अपने मस्तिष्क को सदैव कुरेदता और विचारता रहता है, जब कभी विचार ढीले पड़ जाते हैं, तब वह पढ़कर फिर सोचने के लिए नये विचार पैदा कर लेता है, विचारों की शाखाएं-प्रशाखायें फूटती रहें, इसके लिए उसके जीवन में कर्म का समन्वय है। अर्थात् वह जितना सोचता-विचारता है उतना ही क्रियाशील भी है।

व्यापारी से पूछा गया-आपको कोई शारीरिक शिकायत तो नहीं है? इस पर उसने हंसकर उत्तर दिया-“शिकायत होती तो डॉक्टर को न दिखाते। आप देख लें, आप तो डॉक्टर हैं कोई शिकायत होगी तो आपकी पकड़ से बाहर थोड़े ही जा सकेगी।”

डॉक्टरों ने परीक्षा की। डॉक्टर आश्चर्यचकित थे कि संसार भर की तमाम बीमारियाँ उसके शरीर में भरी पड़ी हैं, लेकिन उसके काम की तल्लीनता और विचारों की सजगता के कारण शरीर का विष जलता रहता है और बीमारियाँ होते हुए भी उसे चारपाई पकड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती। बीमारियों की ओर तो उनका कभी ध्यान भी नहीं गया। वह अपनी आयु के किसी भी व्यक्ति से ज्यादा काम करते हैं, व्यावसायिक कार्यों से संबंधित अध्ययन के बाद भी ग्रह-नक्षत्रों की खोज, जीवात्मा परमात्मा संबंधी जानकारियाँ, प्रकृति और मनुष्यगत आश्चर्यों, चमत्कारों को पढ़ने के लिए वे कुछ न कुछ समय प्रतिदिन निकालते हैं। इन जिज्ञासाओं के कारण न तो उनका मस्तिष्क ठप्प पड़ता है न क्रिया-कलाप।

डॉ. फ्रेडरिक श्वार्टज अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। जीवन के सबसे बड़े आश्चर्य मृत्यु की खोज में उनकी गहन अभिरुचि है। उसे रोक सकना तो भौतिक दृष्टि से शायद ही कभी संभव हो पर यदि पौराणिक आख्यान सत्य हैं, जैसा कि अब प्रमाणित भी हो रहा है, तो आयु को हजार वर्ष तक खींच ले जाने की सम्भावनायें अगली शताब्दियों में ही सत्य सिद्ध हो सकती हैं।

उसके लिए डॉ. श्वार्टज ने जो फार्मूला बताया है, वह ऊपर दे दिया गया है। आश्चर्य की खोज के प्रति हमारी जिज्ञासायें जितनी तीव्र होंगी और शारीरिक दृष्टि से जब तक क्रियाशील बने रहेंगे, मृत्यु तब तक दूर ही रहेगी, भले ही शरीर के कई कल-पुर्जे काम करना भी बंद कर दें।

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