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Akhand Jyoti
Year 1948
Version 2
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April 1948
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आलस्य भिक्षावृत्ति की कुँजी और सारे पापों की जड़ है।
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Page Titles
गुण-ग्राहक दृष्टि को जागृत कीजिए
अगला अंक ‘गायत्री’ अंक होगा।
दान में विवेक की आवश्यकता
‘ओउम्’ परिचय
नीच कौन है।
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नैतिकता को ऊँची उठाओ।
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ब्रह्मचर्य से बल प्राप्ति
मृत्यु शोक की शान्ति।
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क्या हम अभागे हैं?
देश काल और पात्र का ध्यान-रखो
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मठा पिया कीजिए।
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अपने दोषों को भी देखिये
आप डरें क्योँ?
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बोलने का शऊर सीखिये
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गहरी साँस लिया कीजिए
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मेरी डायरी के पृष्ठों से
माँस से दूर रहिए
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सत्संग और वातावरण का प्रभाव
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भ्रम (चक्कर) रोग
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भगवान बुद्ध की वाणी।
अपने विषय में चिन्ता न करें
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संगठित हूजिए-एक रहिए
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मानवता का क्रन्दन
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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