देश काल और पात्र का ध्यान-रखो

April 1948

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(श्रीलक्ष्मीनारायण जी टंडन प्रेमी एम.ए. लखनऊ)

देश काल और पात्र के अनुसार धर्म नियमों में अवश्य अंतर हो सकता है। पश्चिमीय देशों में चुम्बन करना मिलने या विदा होने पर एक भद्रता का चिह्न है हमारे यहाँ अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री का चुम्बन करना पाप है। अपनी स्त्री का भी चुम्बन हम एकान्त में करते हैं किन्तु अंगरेज सबके सामने बिना किसी हिचक के यह करता है।

अपने ही देश में एक समय के नियमों का दूसरे समयों में पालन नहीं किया जा सकता। एक समय में “नियोग” धर्म था। अब कोई भी तैयार न होगा। एक समय “सती प्रथा” पुण्य कार्य था। आज वह अवांछनीय है। संसार परिवर्तनशील है। अतः जो कल के लिये लागू था वह आज के लिये भी लागू होगा ऐसा नहीं कहा जा सकता है। मुख्य प्रवाह-धारा को बाधा न देकर यदि बहाव इधर-उधर घुमाया जाय तो उससे लाभ ही होता है। रानाडे ने एक बार कहा था कि सुधारक को कोरी पटिया पर नहीं लिखना है। उसे तो अधूरे वाक्यों को पूरा करना तथा माली की भाँति काँट-छाँट करना है। धर्म नियमों में परिवर्तन हो सकता है और होना चाहिये इसके साक्षी स्वयं हमारे ही ‘धर्म’ हैं। “अपवाद” शब्द इसी बात का द्योतक है। एक स्वस्थ मनुष्य को नहा- धोकर पूजा पर बैठना चाहिये किन्तु एक अस्वस्थ रोगी खाट पर पड़े-पड़े मानसिक पूजा करने का अधिकार धर्म द्वारा पा जाता है। यह अपवाद क्या है? यह प्रमाण है कि धर्म नियमों में अन्तर हो सकता है।

मान लीजिये आप आर्कटिक सरकिल में ग्रीनलैंड में चले जायँ, यदि वहाँ आप नित्य नहा कर रेशमी कपड़ा पहन कर पूजा करने बैठें तो स्वयं बरफ हो जायेंगे। जब आप रोगी हो और प्राण का खतरा हो तो डॉक्टर के बताये अनुसार यदि शराब या प्याज खायें तो यह भी धर्म है। वैसे ही एक अधिकारी मूर्ति को ईश्वर नहीं समझेगा किन्तु ईश्वर के भाव आरोपित करेगा किन्तु अशिक्षित गवाँर को उसे ही ईश्वर समझने दीजिये। उसके लिए धर्म यह रियायत करती है। अतः अन्तर हो सकता है। धर्म नियमों में देश काल और पात्र के अनुसार।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118