जो अपनी उच्च वृत्तियों की ओर ध्यान देता है। वह ऊँचा हो जाता है। जो सदा अपनी छोटी वृत्तियों की ओर ही आकृष्ट होता है, वह वास्तव में छोटा रह जाता है।
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नीचे विचार हमारे सुख में भी हमें डंक मारते हैं और सद्विचार हमें कष्टों में भी सान्त्वना देते रहते हैं।
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