अनुरोध

March 1941

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(कुमारी कमला शर्मा, लश्कर)

रे, मत तोड़ो तुम खिलने दो,

मुझ छोटी सी कलिका को।

बढ़ने दो अय निष्ठुर निर्मम,

कोमल शैशव-लतिका को॥

नव-सुरम्य उपवन में मुझको,

हाँ दो दिन तो रहने दो।

इस अनन्त के नीचे रह कर,

दुःख, अनन्त सुख सहने दो॥

क्षणभंगुर से लघु जीवन को,

पल भर सुखी बनाने दो॥

आह । नष्ट होने के पहिले,

उर उद्गार मिटाने दो॥

सार हीन संसार नहीं कुछ,

लेकर इसका दे लूं मैं

अरे तोड़ लेना फिर माली,

कुछ हँस लूँ कुछ रोलूँ मैं॥


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