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March 1941

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नित्य हँसमुख रहो, मुख को कभी मलीन न करो, यह निश्चय कर लो कि शोक ने तुम्हारे लिये जगत में जन्म ही नहीं लिया है। आनन्द स्वरूप में सिवा हँसने के चिन्ता को स्थान ही कहाँ है?


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