मनुष्य को देवता बनाने का प्रयत्न

March 1941

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यह पुस्तकें सच्चे रत्नों से भी अधिक मूल्यवान हैं।

जो ज्ञान युगों के प्रयत्न से मिलता है, उसे हम अनायास ही आप के सम्मुख उपस्थित करते हैं।

अखण्ड ज्योति परिवार में अब तक जो ज्ञान संपादन हुआ है, उसमें से सर्व साधारण में प्रचारित योग्य जितना उपयोगी है, उसे पुस्तकाकार में प्रकाशित करने का निश्चय किया गया है। लड़ाई के कारण कागज आदि के दाम तीन गुने बढ़ गये हैं। फिर भी पुस्तकों का मूल्य जहाँ तक हो सका है, कम ही रखा गया है। यह पुस्तकें बाजारू किताबें नहीं है, इनको एक-एक पंक्ति के पीछे गहरा अनुभव और अनुसंधान है। विनम्र शब्दों में हमारा यह दावा है कि इतना खोज पूर्ण, अलभ्य, साहित्य इतने स्वल्प मूल्य में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता। इनका छपना आरम्भ हो गया है। मू. हर एक पुस्तक का दो आना है।

आगामी चार महीनों के अन्दर प्रकाशित हो जाने वाली पुस्तकें —

(1) स्वास्थ्य और सुन्दर बनने की विद्या— (आध्यात्मिक सरल साधकों से तन्दुरुस्त और खूबसूरत बनने के उपाय)।

(2) मानवीय विद्युत के चमत्कार—(मनुष्य के शरीर में जो बिजली भरी हुई है, उसके द्वारा कैसे-2 आश्चर्यजनक कार्य होते हैं, इसका विवरण है)

(3) स्वर योग से दिव्य ज्ञान— (स्वरोदय विद्या द्वारा गुप्त और भविष्य की बातों को जान लेना)

(4) बुद्धि बढ़ने के अद्भुत उपाय—(बुद्धि को तीव्र करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय)

(5) धनवान और विद्वान बनने के सिद्धान्त—

(6) वशीकरण की सच्ची सिद्धि—(इस में बनाये हुए सुगम और सच्चे उपायों से निश्चय ही दूसरों को अपने वश में किया जा सकता है)

(7) इच्छानुसार पुत्र या पुत्री उत्पन्न करना—(ऐसे उपाय बताये गये हैं जिनसे मनचाही सन्तान पैदा हो सकती है)

(8) भोग में योग—(शीघ्र पतन, स्वप्न दोष आदि विकारों की योग साधनों से दूर करने की शिक्षा)

(9) बिना कष्ट के प्रसव—(गर्भवती स्त्रियों के लिए कुछ अभ्यास जिन्हें करने पर प्रसव समय वेदना नहीं होती)

(10) मरने के बाद हमारा क्या होता है?—(मृत्यु के उपरान्त प्रेत होना, स्वर्ग नरक में जाना, जन्म लेना आदि की खोज पूर्ण चर्चा)

(11) क्या धर्म ? क्या अधर्म?—(धर्म की दार्शनिकता और वैज्ञानिक दृष्टि से मीमाँसा)

(12) ईश्वर कहाँ है? कौन है? कैसा है?—(ईश्वर का स्वरूप और उसकी उपासना)

इन बारहों पुस्तकों का मूल्य 12 &1 : ) = 4॥) है। डाक व्यय हर पुस्तक पर -) लगेगा। इस प्रकार उन्हें 5।) देने पड़ेंगे और बार-बार मूल्य भेजने का डाकव्यय लगेगा सो अलग। इसलिए जो सज्जन इन सब पुस्तकों का पूरा सैट मंगाना चाहें, वे 4) पेशगी भेज दें। इसी मूल्य में उन्हें यह सब पुस्तकें घर बैठें मिल जायेंगी। 4 पेशगी भेज कर स्थायी ग्राहक बनने वाली को काफी सुभीता होगा और इस पैसे से कागज आदि खरीदने में हमें बड़ी सुविधा मिलेगी, इसके लिए हम उनके विशेष कृतज्ञ होंगे।

नोट-आज ही अपना मूल्य भेज दीजिये।

मैनेजर—अखण्ड ज्योति, मथुरा।


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