अखण्ड ज्योति के नियम

March 1941

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(1) अखण्ड-ज्योति का वार्षिक मूल्य 1॥) और एक प्रति का :) है। मूल्य मनीआर्डर से भेजना चाहिए। वी.पी.मँगाने पर।- ) अधिक देने पड़ते हैं।

(2) उत्तर के लिये जवाबी कार्ड या टिकट भेजना चाहिये अन्यथा उत्तर न दिया जाएगा।

(3) नये ग्राहकों को जनवरी या जून से ही ग्राहक बनना चाहिये, बीच में ग्राहक बनने वालों को पिछले अंक भेज दिये जाएंगे। पिछले अंक न मँगा कर चालू मास से ही ग्राहक रहना पाठक की इच्छा पर निर्भर है। जैसे रुचि हो लिख देना चाहिये।

(4) अखण्ड ज्योति के मूल्य में कमी करने के लिये पत्र व्यवहार करना व्यर्थ है। एक वर्ष से कम के लिए भी ग्राहक नहीं बनाये जाते।

(5) अखण्ड ज्योति प्रति मास ठीक 20 तारीख को निकल जाती है। अपने यहाँ से दो बार जाँच कर ग्राहकों के पास भेजा जाता है। परन्तु कभी-कभी डाकखाने की गड़बड़ी से अंक पाठकों को नहीं मिलते । ऐसी दशा में रुष्ट न होकर डाकखाने से पूछताछ करनी चाहिये और उसका उत्तर लिखते हुए अंक दुबारा मँगा लेना चाहिये।

(6) स्वीकृत लेख सचित्र भी छापे जा सकेंगे, यदि लेखक ब्लॉक भेज देंगे या उसका प्रबन्ध कर देंगे।

(7) पुस्तकों का मूल्य भी मनीआर्डर से भेजना चाहिये। वी.पी.मँगाने पर । :) अधिक देने पड़ेंगे। 1) से कम मूल्य की पुस्तकों की वी.पी.नहीं भेजी जाती।

(8) पत्र व्यवहार करते समय अपना ग्राहक नम्बर अवश्य लिखना चाहिये।

पत्र व्यवहार का पता—मैनेजर-अखण्ड-ज्योति

कार्यालय, मथुरा।


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