(ले.—श्री0 नारायण प्रसाद तिवारी ‘उज्ज्वल’, कान्हीबाड़ा)
सोते समय चित होकर नहीं लेटना चाहिये, इससे सुषुम्ना स्वर चल कर विघ्न पैदा होने की संभावना है, ऐसी दशा में अशुभ तथा भयानक स्वप्न दिखाई पड़ते हैं। लयावस्था में होकर मस्तक पर पूर्ण चन्द्र के प्रकाश का ध्यान करने से आयु बढ़ती है, शिर पीड़ा तथा कुष्ठ रोग का नाश होता है, नेत्रों के सामने सदा पीले रंग का ध्यान रखने से सर्व रोग दमन होते हैं। नित्य प्रति आधा घंटे तक पद्मासन में बैठ जीभ को दाँतों की जड़ों में दबाने से सर्व रोग शाँत होते हैं।
शाँति पूर्वक सीधे बैठ कर ओठों को काक चोंचाकृति बनाकर श्वास सींचो और फिर मुँह बन्द कर लो और हवा को इस प्रकार गले से नीचे उतारो, जैसे कि पानी पीते हैं, थोड़ी देर बार धीरे-धीरे नाक द्वारा श्वास को निकाल दो, इस क्रिया को प्रातः सायं व रात्रि को करना चाहिये तथा प्रत्येक बार पाँच- सात बार करना बस होगा-इससे रक्त शुद्धि होती है, शूल तथा पेट की अन्य बीमारियों के लिये यह क्रिया लाभदायक है, साराँश यह कि सरल क्रिया होते हुए भी अत्यन्त गुण कारक है, हाँ, अशुद्ध स्थान में अथवा भोजन के तीन चार घंटे उपरान्त तक यह क्रिया न की जावे, भोजनोपरान्त कम से कम 15 मिनट आराम किये बिना सफर करना अनुचित है।
स्वर शास्त्र तथा काम शास्त्र का भी सम्बन्ध विचारणीय है। स्त्री वा माँगी है यद्यपि इस विद्या से अनभिज्ञ भले ही इसे भ्रम पूर्ण विचार समझ हंसी उड़ावें, किन्तु विषय महत्वपूर्ण है, स्त्री वा माँगी होकर जब पुरुष के संसर्ग में आती है तो पुरुष का दक्षिण तथा स्त्री का वाम स्वर चलायमान रहता है ऐसी दशा में यदि गर्भ स्थित होगा तो अवश्य पुत्र होगा, इस विषय पर मैं पहले भी प्रकाश डाल चुका हूँ। पुत्र इच्छुक स्त्री का रजस्वला अवस्था में 4 दिन तक तथा ग्यारहवें और तेरहवें दिन का त्याग कर 16 दिन की अवधि के अन्दर रात्रि के चौथे प्रहर में सूर्य स्वर से चन्द्र पान करे। प्रथम प्रहर का गर्भ क्षीणायु, द्वितीय प्रहर का मन्द भाग्य, तृतीय प्रहर का दुष्ट प्रवृत्ति तथा दरिद्र होगा।
अब मैं कुछ अनुभूत प्रयोग लिख कर इस विषय की समाप्ति करता हूँ।
स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय :—जिस बालक की स्मरण शक्ति क्षीण हो उस के सिर पर लकड़ी का छोटा सा टुकड़ा रखो और इस लकड़ी को एक लकड़ी की छोटी सी हथौड़ी से ठोंको, पाठकों ने अनुभव किया होगा कि लोग कभी-कभी किसी भूली हुई बात को स्मरण करने के लिये सिर खुजलाते हैं, अथवा सिर में पेंसिल ठोकने लगते हैं।
आधा औंस शुद्ध घी में दो कागजी नींबू का रस मिला दो, फिर इस मिश्रण को एक प्याले में रख आग पर गरम करो, जब मामूली कुनकुना हो जावे तब बालक को पिला दो, इससे बालक की स्मरण शक्ति तीव्र होगी मस्तिष्क की शक्ति बढ़ेगी नेत्रों की ज्योति भी तीव्र होगी।
लू लगने पर निम्न औषधि लाभदायक पाई गई है :—4-6 सेर सहते हुए गरम पानी में आधा तोला नमक डाल दो और उससे रोगी के सिर को धोओ। एक बार में आराम न हो तो यह क्रिया दुहराई जावे, अवश्य लाभ होगा।
नमक का दूसरा गुण सर्प विष निवारण है, ठंडे पानी में थोड़ा सा नमक मिला दो, सर्प काटे हुए मनुष्य के आँखों में बराबर वह पानी डाला जावे अवश्य लाभ होगा।
बस पाठकों से मेरा यही निवेदन है, कि इन बातों का अनुभव किये बिना केवल मखौल न उड़ावें। Experience is a bitter School.