साधकों के कुछ पत्र

March 1941

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सूर्य चिकित्सा विधि के अनुसार पीड़ितों का उपचार कर रहा हूँ। पाँच मास में चार सौ से अधिक रोगी लाभ उठा चुके हैं। छै आना मूल्य की सूर्य चिकित्सा विज्ञान पुस्तक का मूल्य यदि छः हजार रुपया होता तो भी सस्ती थी आपके प्रयत्न का शब्दों द्वारा नहीं, हृदय से हम लोग अभिवादन करते हैं।

—गोविन्दराम, विधीपुर

पिछले दस वर्षों से मैं आध्यात्म पथ का जिज्ञासु रहा हूँ। सैकड़ों ग्रन्थ पढ़े और अनेक विद्वानों का सत्संग किया परन्तु वाचक ज्ञान के अतिरिक्त आन्तरिक उन्नति कुछ भी न हुई थी। एक मित्र द्वारा आपकी “मैं क्या हूँ?” पुस्तक मिली। वह मुझे इतनी रुची कि जिस दिन पड़ी उसी दिन से अभ्यास आरम्भ कर दिया। गत तीन मास में मुझे इतनी शान्ति मिली है, इतनी जीवन भर में प्राप्त नहीं हुई थी।

—डी0 पी0 भटनागर, सूरत

‘परकाया प्रवेश’ के अभ्यास से विशेष सफलता मिल रही है। अपने छः मित्रों से तम्बाकू पीना छुड़ा चुका हूँ। एक लड़का बुरी सोहबत में पड़कर अपने स्वास्थ्य को बहुत कुछ बर्बाद कर चुका था, वह सुधर गया। एक व्यक्ति को क्रोध बहुत आता था, किसी से उसकी पटती नहीं थी एक महीने के प्रयत्न से उसके विचारों का कायाकल्प हो गया है।

—आनन्द गिरि गोस्वामी, हरिद्वार

स्वप्नदोष और दिल धड़कने का पुराना मर्ज प्राण चिकित्सा विधि में 56 वें पृष्ठ पर लिखे हुए अभ्यास करने से अच्छा हो गया। दो मास में सिर्फ एक बार धड़कन बढ़ी है जब कि पहले इसका दौरा रोज होता था। स्वप्न दोष तो इन दिनों में एक बार भी नहीं हुआ।

—जीव शंकर भिल्लानी , मन्सूरी


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles