आयुर्वेद-7 - क्वाथ चिकित्सा द्वारा जटिल रोगों का सरल उपचार-2

September 2003

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क्वाथ-चिकित्सा द्वारा सामान्य से लेकर कष्टसाध्य एवं कई बार असाध्य समझे जाने वाले जटिल रोगों तक का उपचार किया जा सकता हैं पिछले अंक में वातरोग नाशक एवं उच्चरक्तचाप नाशक क्वाथ का वर्णन किया जा चुका है। यहाँ इससे आगे की चर्चा करते हैं।

(3) अनिद्रानाशक क्वाथ

अनिद्रा या नींद न आना-जिसे चिकित्साविज्ञानी ‘स्लीपलेसनेस या इंसोम्निया’ कहते हैं, व्यक्ति के स्वयं के खान-पान, चिंतन-मनन एवं आचार-व्यवहार की देन है। अपर्याप्त नींद या अनिद्रा के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता तो घटती ही है, साथ-ही-साथ इसके अनेकानेक दुष्प्रभाव भी शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर स्पष्ट परिलक्षित होने लगते हैं। इससे त्रस्त व्यक्ति नींद लाने वाली गोलियों, नशीली दवाओं आदि का सहारा लेने लगता है। रोग का मूल कारण हटाए- मिटाए बिना व्याधि मिटती नहीं, वरन् नए एवं परिवर्तित रूपों में उभरती रहती है।

यों तो अनिद्रा के कई कारण हो सकते हैं-जैसे सोते समय वर्तमान या भविष्य के ताने-बाने बुनते रहना, भूतकाल की बातों में उलझे रहना या उन्हें मन से न निकाल पाना, सिर दर्द या अंग दर्द, बुरे विचारों से घिरे रहने, अजीर्ण, हृदय रोग, श्वास रोग, शोथ, ज्वर, दुःस्वप्न आदि के कारण भी कभी-कभी नींद नहीं आती और व्यक्ति करवटें बदलता रहता है। मानसिक चिंता, तनाव, भय, क्रोध आदि के कारण मन अशाँत बना रहता है और अत्यधिक बेचैनी की अनुभूति होती है।

अनिद्रा रोग के ये सभी कारण प्रायः अस्थाई होते हैं। रोग का शमन होते ही नींद आने लगती है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है, किंतु हाइपरटेंसन अर्थात् उच्चरक्तचाप के कारण उत्पन्न अनिद्रा रोग सर्वाधिक कष्टकारी होता है। निद्राकारक दवाइयों की भरमार करते रहने से सुखकर नींद तो नहीं आती, हाँ रोगी व्यक्ति नशा-सेवन की तरह अर्द्धप्रसुप्त स्थिति में पड़ा रहता है। ऐसी स्थिति में ‘अनिद्रा नाशक क्वाथ ‘ का सेवन बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ है। पथ्य-परहेज के साथ इस क्वाथ का नित्य-नियमित रूप से सेवन करने से न केवल अनिद्रा रोग दूर होता है, वरन् उसके कारण में मूल उच्चरक्तचाप आदि व्याधियाँ भी नियंत्रित एवं शमित होती हैं।

‘अनिद्रानाशक क्वाथ ‘ में निम्नलिखित औषधियां मिलाई जाती हैं-

(1) ब्राह्मी-1 चम्मच (पाँच ग्राम-चाय का चम्मच) (2) शंखपुष्पी-1 चम्मच (3)विजया-1 चम्मच (4) खुरासानी अजवायन- चौथाई 1/4 चम्मच (5) जटामांसी-10 ग्राम से 30 ग्राम तक (6) सर्पगंधा-1/2 चम्मच (7) हरड़- 1 चम्मच (8)अश्वगंधा-(1/4) चम्मच (9) गिलोय-1 चम्मच (10) पुनर्नवा-1 चम्मच (11) अर्जुन-1 चम्मच (12) वरुण-1/2 चम्मच।

इन सभी 12 घटक द्रव्यों को अपनी आवश्यकता के अनुरूप उनके गुणनक्रम में लेकर उनका सम्मिलित जौकुट पाउडर तैयार कर लेते हैं और एक स्वच्छ डिब्बे में सुरक्षित रख लेते हैं। क्वाथ बनाते समय सम्मिलित पाउडर में से 5-6 चम्मच (30 ग्राम) पाउडर लेकर शाम को आधा लीटर पानी में भिगो देते हैं और सुबह मंद आँच पर क्वाथ बनाते हैं। चौथाई अंश शेष रहने पर क्वाथ को ठंडा करके साफ-सुथरे कपड़े से छान लेते हैं। तैयार क्वाथ की आधी मात्रा सुबह एवं आधी मात्रा शाम को सेवन करते हैं। अनिद्रा रोग में पथ्य-परहेज का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, विशेषकर उच्चरक्तचाप जन्य अनिद्रा में। रात के वक्त तली-भुनी एवं पचने में भारी चीजें नहीं खानी चाहिए। रात का भोजन सदैव हलका ही लेना चाहिए। भोजनोपराँत ‘महाशंखबटी‘ की दो गोली सुबह एवं दो गोली शाम को जल के साथ सेवन करना चाहिए। अनिद्रा रोग को दूर करने का सबसे सरल उपाय है- ध्यान एवं मानसिक जप। बिस्तर पर लेटते ही ‘शवासन मुद्रा’ में पड़कर शरीर और मन को ढीला छोड़ देना चाहिए और अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए गायत्री महामंत्र या महामृत्युँजय मंत्र का मानसिक जप करते हुए रोम-रोम में नींद का आह्वान करते हुए सुखकर नींद लेने का उपक्रम करना चाहिए।

4. मलेरिया बुखार नाशक क्वाथ

मलेरिया बुखार के कई प्रकार होते हैं। उन सभी, में यह क्वाथ अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हुआ है। इसमें निम्नलिखित औषधियां मिलाई जाती हैं-

(कालमेघ-1 ग्राम (2) चिरायता-10 ग्राम (3) सायतरा (शाहतरा)-10 ग्राम (4) पद्माख-5 ग्राम (5) लालचंदन-5 ग्राम (6) गिलोय-1 ग्राम (7) कालीमिर्च-15 दाने (8) अजवायन-1 ग्राम (9) छोटी हरड़-10 ग्राम (10) लौंग- 5 नग (11) खुबकला-10 ग्राम (12) तुलसी पत्र-15 पत्ते (13) सफेद फिटकरी का फूला (तवे पर भुनी हुई फिटकरी)- 5 ग्राम (14) आर्टीमीसिया-10 ग्राम (15) नीम पत्र-10 ग्राम (16) कुटकी-5 ग्राम (17) भुई आँवला-10 ग्राम (18) पटोल पत्र -10 ग्राम (19) नागरमोथा-10 ग्राम (20) कुटज छाल-10 ग्राम (21) करंज-10 ग्राम (22) आक पत्र-2 ग्राम।

उक्त सभी 22 चीजों का जौकुट पाउडर तैयार करके उन्हें मिलाकर एक डिब्बे में रख लेना चाहिए। उसमें से प्रतिदिन 4-5 चम्मच (25 ग्राम) पाउडर लेकर रात्रि में आधा लीटर पानी में भिगो देना चाहिए और सुबह मंद आँच पर क्वाथ बनाना चाहिए। जब क्वाथ पकते-पकते चौथाई अंश शेष रह जाए तो उतारकर ठंडा होने पर स्वच्छ कपड़े से छान लेना चाहिए। इसे दो भागों में विभक्त कर आधा क्वाथ सुबह और आधा क्वाथ शाम को पीना चाहिए।

यह देखा गया है कि क्वाथ पीने के साथ ही साथ उपर्युक्त जौकुट पाउडर का बारीक पिसा हुआ चूर्ण एक चम्मच सुबह एवं एक चम्मच पाउडर शाम को जल के साथ लेते रहा जाए तो अधिक लाभ होता है और बुखार जल्दी ठीक होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि खाने वाला पाउडर अधिक बारीक होना चाहिए। इसके लिए उपर्युक्त 22 चीजों से बने जौकुट पाउडर को घोट-पीसकर अधिक महीन कर लेते हैं और कपड़े से छानकर सूक्ष्म चूर्ण तैयार करते हैं। इसी चूर्ण को 1-1 चम्मच खाने के लिए कहा गया है। मलेरिया बुखार में एक और प्रयोग अत्यंत लाभकारी पाया गया है।

मलेरिया बुखार आने से पहले हरारत या कंपकंपी महसूस होती है। उसी समय यदि आधा बूंद आक (अर्क) का दूध एक चम्मच घी या मक्खन में रखकर ले लिया जाए तो यह ‘एंटीडोट’ का काम करता है। अर्थात् मलेरिया के परजीवी विषाणुओं द्वारा उत्पन्न विषाक्तता को आक का दूध शमन करता है। आक का दूध लेने से यदि किसी प्रकार की तकलीफ या हानि मालूम पड़े तो 1-2 चम्मच घी या शक्कर मिला हुआ एक पाव दूध पीना चाहिए। इससे गरमी नहीं लगेगी। दूध या घी सदैव बुखार आने से पहले पीना चाहिए। बुखार चढ़ने के बाद दूध नहीं लेना चाहिए।

(5) शीतरोग नाशक क्वाथ

यह क्वाथ क्राँनिक या एलर्जिक ब्रोन्काइटिस में अत्यंत लाभकारी पाया गया है। इसमें निम्नलिखित चीजें मिलाई जाती हैं।-

(1) रुदंती-1 चम्मच (2) रुद्रवंती-1 चम्मच (3) वासा-1 चम्मच (4) कंटकारी-1 चम्मच (5) भारंगी-1 चम्मच (6) तेजपत्र-1 चम्मच (7) मुलहठी-1/2 (आधा) चम्मच (8) त्रिकटु-(पिप्पली, सुँठी, काली मिर्च समभाग में ) (9) पित्तपापड़ा-1 चम्मच (10) नौसादर-एक चुटकी (11) दसमूल-1 चम्मच (12) पिप्पली पंचाँग-1 चम्मच (13) तालीस पत्र-1/2 (आधा) चम्मच (14) चित्रक-1 चम्मच (15) तुलसी-1/2 (आधा) चम्मच (16) गुलबनफ्शा-1 चम्मच (17) अलीस-1 चुटकी।

इन सभी 17 चीजों को निर्धारित मात्रा में लेकर उनका सम्मिलित जौकुट पाउडर तैयार कर लेते हैं और प्रतिदिन 4-5 चम्मच पाउडर के क्वाथ से पुराना शीत रोग एवं एलर्जीजन्य ब्रोन्काइटिस रोग ठीक हो जाता है।

(5) ब्रोन्कियल अस्थमा (दमा) अर्थात् श्वास-कास नाशक क्वाथ

ब्रोन्कियल अस्थमा-श्वास-कास एवं दमा रोग से छुटकारा दिलाने में यह क्वाथ सर्वोत्तम लाभकारी पाया गया है। इसमें निम्नलिखित औषधियां मिलाई जाती हैं-

(1) सोमलता-2 चम्मच (2) अतीस-क्रत्ती (3) नौसादर-1/2 (आधी) चुटकी (4) बेलमूल की छाल-1 चम्मच (5) काकड़ासिंगी-1 चम्मच (6) पिप्पलामूल-1/2 (आधा) चम्मच (7) कंटकारी-2 चम्मच (8) भारंगी-2 चम्मच (9) मुलहठी- 2 चम्मच (10) त्रिकटु-2 चम्मच (11) वासामूल-1 चम्मच (12) रुदंती फल-2 ग्राम (13) रुद्रवंती-1 चम्मच (14) गुलनबनफ्शा-1 चम्मच (15) गाजवाँ-1 चम्मच (16) रास्ना-1 चम्मच।

उपर्युक्त सभी 16 चीजों को अलग-अलग कूट-पीसकर उनका जौकुट पाउडर तैयार कर लेते हैं और फिर उन्हें मिश्रित करके एक डिब्बे में रख लेते हैं। काढ़ा बनाते समय इसी सम्मिलित पाउडर में से 4-5 चम्मच (20-25 ग्राम) पाउडर लेकर आधा लीटर पानी में क्वाथ बनाते और सुबह-शाम रोगी व्यक्ति को सेवन कराते हैं। खाँसी, दमा, एलर्जिक ब्रोन्काइटिस आदि जीर्ण रोगों में निरंतर पथ्य-परहेज के साथ इस क्वाथ का सेवन करने से रोग समूल नष्ट हो जाता है और व्यक्ति पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है।


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