“दूसरों का सहयोग, प्यार हमें नहीं मिला। भाग्य ने साथ नहीं दिया” जैसी शिकायतें करने वालों को लियोनार्दो ने पूरी तरह झुठला दिया। उसके जीवन का प्रारंभ घोर अभावों के बीच हुआ, पर उसने हर विषय को गहराई से सोचने और हर कार्य में पूरी तत्परता बरतने की नीति अपनाकर अनेक विषयों की प्रतिभा अर्जित की। उसकी उत्कंठा और चेष्टा को देखकर अनेकों सहयोगी रास्ता चलते मिल गए और प्रतिकूलताएं अपना स्वरूप बदलकर अनुकूलताओं में बदलती गई।
नीरोग और बलिष्ठ शरीर का स्वामी, महान मूर्तिकार, चित्रकार, साहित्यकार, कवि, दार्शनिक, गणितज्ञ, संगीतज्ञ, वैज्ञानिक, मिस्त्री, युद्ध कला विशेषज्ञ, विद्वान, वक्ता और सुसंस्कृत व्यक्तित्व का धनी जैसा लियोनार्दो था, उसकी तुलना में बहुमुखी प्रतिभा का धनी इतिहास में दूसरा नहीं दिख पड़ता।
वह इटली के फलोरेन्स नगर में एक निर्धन परिवार में जन्मा था। माता दो वर्ष को छोड़कर मर गई थी, फिर भी उसने अपना निर्माण और मार्गदर्शन स्वयं किया और यह सिद्ध करके दिखाया कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है।