मित्रता और सूझ-बूझ के सहारे कठिनाइयों से पार (Kahani)

December 2003

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हालैंड समुद्र से निचाई पर बसा हुआ है। पानी भीतर न घुसे, इसलिए उस देश के किनारे पर दीवारें बनी हुई हैं। कभी पानी भीतर आने लगता है तो बड़े-बड़े पंप उसे उलीचने के लिए लगाने पड़ते हैं।

एक दिन रात होते-होते एक लड़का पीटर समुद्र की दीवार पर से निकला, उसने देखा कि दीवार में छेद हो गया है और उससे होकर पानी नगर में तेजी से दौड़ रहा है। स्काउटिंग की शिक्षा प्राप्त अनुशासनप्रिय छात्र ने कोई और उपाय न देखकर अपनी बाँह उस छेद में ठूँसकर बहाव को रोका। सहायता के लिए औरों को पुकारता रहा, पर उस सुनसान में किसी ने उसकी आवाज ही नहीं सुनी। बारह घंटे भयंकर शीत और पानी में डूबा हुआ लड़का मरणासन्न हो गया। सवेरे जब लोग उधर से निकले तो लड़के को इस स्थिति में पानी रोके हुए पड़े देखा। निकालने पर बड़ी कठिनाई से ही उसकी जान बचाई जा सकी। हालैंड को डूबने से बचाने वाले इस साहसी पीटर का नाम हालैंड के इतिहास में अमर है।

एक जंगल में हिरन, कौआ, कछुआ और चूहा रहते थे। विपरीत बुद्धि के कारण परस्पर झगड़ते रहते थे। शिकारी अक्सर उन्हें मारते रहते थे, सो उनका वंश नष्ट हो चला था। एक दिन एक संत ने उन्हें हिल-मिलकर रहने का उपदेश दिया। वे चारों मिल-जुलकर रहने को सहमत हो गए।

एक दिन एक शिकारी आया। दिनभर कोई शिकार न मिलने पर उसने रेंगते हुए कछुए को पकड़ा और जाल में रखकर चलने लगा।

तीनों मित्र असमर्थ तो थे, पर उन्होंने सूझ-बूझ और सहकारिता से काम लिया। हिरन शिकारी के सामने से लँगड़ाते हुए चलने लगा। कौआ उसकी पीठ पर बैठ गया। इस स्थिति का लाभ उठाकर वह आसानी से उसे पकड़ सकता है, यह सोचकर जाल जमीन पर रखकर शिकारी हिरन के पीछे दौड़ा।

इतने में चूहे ने जाल काट दिया और कछुआ भागकर एक झाड़ी में छिप गया। बहुत देर पीछा करने के बाद जब हिरन के कुलांचे भरीं तो निराश शिकारी वापस लौटा तो जाल कटा और कछुए को गायब पाया।

शिकारी को उस क्षेत्र में किसी भूत-प्रेत की उपस्थिति एवं करतूत प्रतीत हुई, सो वह रात्रि में उधर रुके बिना ही भयभीत होकर तत्काल घर लौट पड़ा।

मित्रता और सूझ-बूझ के सहारे मनुष्य कठिनाइयाँ आसानी से पार कर लेता है, जबकि इक्कड़ प्रकृति तथा संतुलन खो बैठने वाले छोटी मुसीबत में भी भारी हानि उठाते हैं।


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