जनवरी 2004 का अंक विशेषाँक
अगला अंक ‘जीवन साधना विशेषाँक’ होगा। अन्य नियमित स्तंभ इसमें नहीं होंगे। ‘आर्ट ऑफ लिविंग‘ जिसकी परिभाषा पूज्यवर ने सबसे पहले की, आज विविध रूपों में कमाई का साधन बनी दिखाई पड़ती है। वस्तुतः जीवन साधना क्या है? कैसे हम इस जीवनरूपी प्रत्यक्ष देवता को साधें, इस नकद धर्म को कैसे भुनाएँ, जीवनशैली किस तरह व्यवस्थित करें, उस पर विशेषज्ञ लेखनी से पूज्यवर का चिंतन जनवरी 24 की ‘अखण्ड ज्योति’ में पढ़ें। अधिक-से-अधिक नए व्यक्ति पढ़ सकें, इसलिए अभी से इन्हें जोड़ें।