केंद्र के समाचार-विश्व भर की हलचलें

July 2002

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

विश्वविद्यालय विधेयक विधानसभा में पारित

देव संस्कृति विश्वविद्यालय को उत्तराँचल शासन द्वारा एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में एक अधिनियम बनाकर 22-1-2002 को महामहिम राज्यपाल उत्तराँचल श्री सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा मान्यता दी गई थी। यह निर्णय भाजपा शासन वाली सरकार का था। मिशन राजनीति के किसी भी पक्ष से अप्रभावित रहकर समाज-संस्कृति की सेवा में लगा है, इसका प्रमाण तक मिला, जब 22-3-2002 को नव निर्वाचित काँग्रेस बहुल सरकार ने सत्तर चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बीच इसे रखा एवं सभी ने एकमत से हर्षध्वनि के साथ ऐसे पावन कार्य को सहमति दे विधेयक के रूप में परिणत कर दिया। राज्य व केंद्रीय सरकार से किसी भी तरह के अनुदान न लेने को संकल्पित यह स्थापना शाँतिकुँज के समीप गायत्री कुँज परिसर (जिला देहरादून) में की गई है। कुलपिता के सूक्ष्म संरक्षण में इसके कुलाधिपति डॉ.प्रणव पंड्या एवं कुलपति डॉ.एस.पी. मिश्रा मनोनीत हुए हैं। जुलाई 2002 से यहाँ साइको आयुर्वेदिक विज्ञान में एम.एस.-सी. तथा योग में एम.ए., एम.एस.-सी., डिप्लोमा व सर्टीफिकेट के प्रवेश होकर विश्वविद्यालय विधिवत आरंभ होगा। इसका ब्रोशन शाँतिकुँज में उपलब्ध है।

अब अंतःऊर्जा जागरण सत्र 1 अगस्त से होंगे

विगत नवरात्रि (13-4-2002) के पूर्व तक पाँच दिवसीय अंतःऊर्जा जागरण सत्रों की शृंखला निरंतर चलती रही। इसे नवरात्रि से नवरात्रि में ही चलाने का प्रारंभिक निर्धारण था, परंतु माँग अत्यधिक होने व कई आवेदन होने के कारण मई की 1 से 5 व 6 से 10 में 30-30 साधकों के लिए अतिरिक्त सत्र किए गए। अब 16 अक्टूबर के स्थान पर इसे 1 अगस्त से आरंभ किया जा रहा है, ताकि नवरात्रि अवकाश (5-10-2002 से 15-10-2002) छोड़कर इसे अनवरत 2003 की नवरात्रि तक चलाया जा सके। अतिरिक्त तेरह सत्रों से प्रायः सात सौ से अधिक व्यक्ति लाभान्वित होंगे।

नई दिल्ली में गायत्री चेतना केंद्र का निर्माण आरंभ

नोयडा (नई दिल्ली) में सेक्टर 12, क्वार्टर नं. 2 में प्रस्तावित ‘गायत्री चेतना केंद्र’ का निर्माणकार्य आरंभ होकर गति पकड़ चुका है। विगत दिनों 24 मार्च को केंद्रीय प्रतिनिधियों ने पूरी दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र की एक गोष्ठी नोयडा में संबोधित की। इसमें सभी ने तन, मन धन से सहयोग कर दिल्ली-राजधानी स्तर के इस भव्य निर्माण हेतु अपने संकल्प घोषित किए। इस पर प्रायः दो करोड़ की लागत आने की संभावना है।

मारीशस-दक्षिणी अफ्रीका व महाद्वीप तथा यू.के. यूरोप के लिए केंद्रीय दल रवाना

संगठनात्मक मंथन व केंद्र स्थापना दौरों के लिए दो दल भिन्न-भिन्न दिशाओं में अप्रैल माह में प्रस्थान कर गए। प्रथम सप्ताह में श्री शाँति लाल पटेल एवं प्रज्ञेश्वरदास के दल ने लंदन के लिए प्रस्थान किया, जहाँ वे लेस्टर में स्थापित गायत्री की प्रक्रिया को गति देंगे। चौथे सप्ताह में श्री विश्वप्रकाश त्रिपाठी के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय दल मारीशस रवाना हुआ। यही दल दक्षिणी अफ्रीका, बोत्सवाना, तंजानिया, केन्या, युगाँडा, जाँबिया आदि देशों का भी दौरा करेगा। ज्ञातव्य है कि मारीशस, जोहान्सबर्ग व लेस्टर तीनों ही स्थानों पर शाँतिकुँज के शक्तिपीठ स्तर के केंद्र स्थापित हैं।

कनाडा के उच्चायुक्त शाँतिकुँज प्राँगण में

विगत दिनों कनाडा के उच्चायुक्त पीटर सूदरलैंड अपने हरिद्वार प्रवास के दौरान शाँतिकुँज आए। पूरा आश्रम, शोध केंद्र एवं विश्वविद्यालय परिसर उनने देखा एवं भावविभोर होकर वे गए। सूदरलैंड दंपत्ति ने अखण्ड दीपक के दर्शन कर गुरुसत्ता का प्रतिनिधियों से मुलाकात भी की।

मुन्स्यारी (पिथौरागढ़) एवं तालेश्वर (रानीखेत) में शाँतिकुँज के साधना-स्वावलंबन केंद्र

पिथौरागढ़ (उत्तराँचल) के नेपाल-तिब्बत की सीमा से लगे मुन्स्यारी क्षेत्र में केंद्र के मार्गदर्शन में ध्यान केंद्र एवं स्वावलंबन प्रशिक्षण स्थली के निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है। लगभग आठ हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित यह केंद्र पंचचूली हिमालय शिखरों के सामने स्थित है। यहाँ ध्यान हेतु कुटी एवं उस क्षेत्र के जनजाति वर्ग हेतु एक कुटीर उद्योग प्रशिक्षण तंत्र खुलेगा। इसी तरह रानीखेत जिले के तालेश्वर महादेव (5600 फीट) में भी केंद्र की निर्माणात्मक प्रक्रिया आरंभ हो गई है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles