सफलता का मापदंड विजय-पराजय अथवा धन-दौलत नहीं, बल्कि वे कर्त्तव्य हैं, जिनका किसी ने आपत्ति तथा हानि की स्थिति में भी निष्ठापूर्वक पालन किया है।