अपने ऐश्वर्य से श्रम को मत तोलो (Kahani)

October 2001

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

नेपोलियन बोनापार्ट अपनी सहधर्मिणी के साथ संध्या के समय भ्रमण में निकले हुए थे। वे इसी क्रम में कहीं सँकरे रास्ते से होकर गुजर रहे थे। आगे से एक लकड़हारा सिर पर लकड़ी का बोझा लिए आता उन्हें दिखाई पड़ा। समीप में जैसे ही वह आया तो नेपोलियन ने संकेत से रास्ता देने के लिए अपनी पत्नी को कहा और खुद भी किनारे हो गए।

पत्नी झुँझलाकर बोली, उस अशिष्ट ने हमारा अभिवादन तक नहीं किया और आप उसे रास्ता भी दे रहे हैं?

नेपोलियन गंभीर किंतु संयत स्वर में बोले, “देवी जी! कदाचित् आप श्रम का महत्व नहीं जानतीं। श्रम का अभिवादन सम्राट के अभिवादन से कहीं ज्यादा महत्त्व का है। अपने ऐश्वर्य से श्रम को मत तोलो।”


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles