देवात्मा हिमालय की गोद में ही मानव जन्मा और विकसित हुआ। उसने अपनी इस विकास-प्रक्रिया और परंपरा से जो सभ्यता एवं संस्कृति विकसित की, वही आर्य सभ्यता एवं भारतीय संस्कृति कहलाई। इसी का प्रचार-प्रसार करके भारत चक्रवर्ती एवं विश्वगुरु बना।