विश्व की अनेक सभ्यताओं में चेहरे, होंठ, आँख, केश, नाखून एवं त्वचा-सौंदर्य को सुरक्षित रखने और बढ़ाने के उद्देश्य से अनेक प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल होता है। यहाँ तक तो गनीमत थी, पर जैसे ही आधुनिक वैज्ञानिक युग ने हमें चकाचौंध करना शुरू किया कि तमाम रसायनों, नए यौगिकों ने हमारे जीवन में प्रवेश किया। नतीजा कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों के सैलाब के रूप में मानते हैं। इनके दुष्प्रभाव एवं जहरीले असर अपने शुरुआती दौर से ही सामने आते रहे हैं।