सत्प्रवृत्तियों को स्थान मिले, इसके लिए अनिवार्य है कि ऐसा वातावरण पारिवारिक परिसर में बनाया जाए कि अधोगामी प्रवृत्तियाँ अपने पैर ही न जमा सके।