जड़ हों या चेतन, सभी प्रकृति की रहस्यमय डोर से बँधे हैं। इन सभी का संचालन प्रकृति की अदृश्य ऊर्जा द्वारा होता रहता है। संचालन और नियमन की यह क्रिया बड़ी रहस्यमयी है। इसीलिए प्रकृति को रहस्यों का पिटारा कहा गया है। इसके रहस्यों का अंत नहीं है। तभी तो प्रकृति के आँगन में जड़ और बेजान समझे जाने वाले पत्थर भी यदा-कदा विचित्र तरह की हरकतें करने लगते हैं।
सामान्यतया पत्थर एक जड़ वस्तु है। वैसे तो परम चेतना सभी प्राणियों-पदार्थों में व्याप्त है, परंतु जड़ में यह प्रायः सुप्त एवं निष्क्रिय अवस्था में होती है। तभी तो जीवित वस्तुओं के समान ये चेतन नहीं होते। इसी वजह से पत्थरों को बेजान चीजें माना जाता है, परंतु ये पत्थर जब विशिष्ट हरकतें करने लगते हैं, तो बड़ा आश्चर्य होता है। आश्चर्यजनक होते हुए भी यह सत्य है कि पत्थरों की दुनिया में कुछ पत्थर ऐसे भी हैं जो गति करते हैं। ऑक्सफोर्ड शायर के एनस्टोन में ‘होरस्टोन’ नामक एक विशेष पत्थर है। जब भी लिडस्टोन चर्च की घड़ी रात को ठीक बारह बजे की घंटी बजाती है, तो यह पत्थर अपने पास बहने वाली नदी के किनारे गोल गोल घूमते हुए पहुँचता है और अन्य जीवों के समान पानी पीने का दृश्य उपस्थित करता है। यह क्रिया मुर्गे के बाँग लगाने, दोपहर अथवा वर्ष की किन्हीं निश्चित तिथियों में भी देखी गई है।
उत्सवों या बारातों में लोग खुशी से नाचते-गाते हैं। मनुष्यों की तरह यदि निर्जीव कहे जाने वाले पत्थर भी नाचते-गाते दिखाई देने लगें तो बड़ा ही अचरज लगता है। किंवदंती-सी लगने वाली यह घटना एवन के स्टेटनड्यू में पत्थरों की खदानों में होती है। एक विशेष अवसर पर इस खदान के कुछ पत्थर नृत्य करने लगते हैं। इस संबंध में आस पड़ोस में रहने वाले लोगों ने अनेकों जनश्रुतियाँ व्याप्त है। परंतु इस अनहोनी घटना की पुष्टि विख्यात वैज्ञानिक जेनैट और कालीनयार्ड ने सन् 1975 में स्वयं देखकर की थी।
सुविख्यात मनीषी ग्रीनसेल ने ब्रिटेन में एक स्थान का उल्लेख किया है। जहाँ पर बिखरे पड़े पत्थरों को उठाकर कभी भी गिना जाना संभव नहीं है। जब भी कोई कुछ पत्थरों को लेकर गिनने लगता है तो उनकी गिनती होने से पहले ही एकाएक कई पत्थर उसमें और मिल जाते हैं और गणनाकार्य रुक जाता है। अगणित प्रयासों के बावजूद इस संबंध में वहाँ कोई सफलता नहीं प्राप्त कर सका है।
लेजली ग्रीनसेल ने ब्रिटे के राल राइट पत्थरों का एक और रोचक उदाहरण प्रस्तुत किया है। क्राँपटन गाँव में इन पत्थरों की संख्या सत्तर है। परंतु ये पत्थर जब गोल घेरा बनाकर घूमने लगते हैं, तो इनकी सही संख्या बता पाना मुश्किल है। नए वर्ष मध्य रात्रि में ये पत्थर गोल घेरा या वृत्त बनाते हैं और बच्चों के समान उछलकूद करते गोल-गोल घूमने लगते हैं। घूमने की अवस्था में इनकी स्पष्ट संख्या की जानकारी नहीं मिलती। जब ये घूमना बंद कर देते हैं तो फिर से बेजान पत्थरों की तरह ही पड़े रहते हैं।
‘किंगस्टोन’ भी एक आश्चर्यजनक पत्थर के रूप में प्रसिद्ध है। इस पत्थर के बारे में एक प्रसिद्ध लोकमान्यता है कि यदि रात्रि के समय विवाहित युवतियाँ इसे अपनी छाती से लगाएँ तो उन्हें सुसंतति प्राप्त होती है। इसी तरह कार्नवाल के मेन एन ताल में कुछ ऐसे पत्थर भी हैं, जिनके बारे में यह कहा जाता है कि यह बीमारियों में लाभदायक होते हैं। इन्हें हीलिंग स्टोन कहा जाता है। खासकर इससे बच्चों के रोगों को ठीक होते देखा गया है। इस पत्थर के ऊपर ताँबे के पिन को गुजारने पर पिन में विचित्र तरह की हरकतें होती है। लोग इन हरकतों में अपने प्रश्नों का समाधान खोजते हैं।
पत्थरों से अनेक दूसरे लाभ और चमत्कार भी देखे गए है। स्कॉटलैंड में नवविवाहित दंपत्तियों को सुखी जीवन हेतु ........ के केंपल स्टोन का स्पर्श कराया जाता है। वार्निश टोल्वोन पत्थर बीमार बच्चों को आराम देता है। सन् 1972 ई. में जेनैट और कालीनयार्ड ने इस पत्थर का प्रयोग किया और तमाम मान्यताओं को सिद्ध होते देखा। आयरलैंड के काउंटी पार्क में एक पत्थर हैं, जो अनेक रोगों में लाभदायी होता है। लिंकोशायर में मान्यता है कि वहाँ के कुछ विशिष्ट पत्थरों को पीटने पर फसल अच्छी होती है। फसल बोने से पूर्व पारंपरिक ढंग से उसका पूजन भी किया जाता है।
श्रीमती एल. चेपमेन ने अपने ग्रंथ ‘द ले हंटर’ में पत्थरों से संबंधित अनोखी घटनाओं का वर्णन किया है। उन्हीं के शब्दों में, “मैं एक गाँव पहुँची। वहाँ पर पत्थरों के संबंध में अजीबोगरीब मान्यताएँ प्रचलित थी। मुझे इन पर विश्वास नहीं हुआ। मैं स्वयं तथ्य से अवगत होना चाहती थी। जैसे ही मैंने एक पत्थर को छुआ तो बड़ा तेज झटका लगा। हाथ और उँगलियाँ थरथराने लगी। यह थरथराहट बाद में दो दिनों तक बनी रही। अंत में मुझे अविश्वसनीय तथ्यों पर विश्वास करना पड़ा। श्रीमती चेपमेन ने इस तरह के अनेकों रोचक तथ्यों का संकलन किया है।
पत्थर भी अन्य जीवधारियों की तरह बढ़ते हैं, इसे स्वीकार कर पाना असंभव भले ही हो, पर यह है पूरी तरह से सच। काउंटी विकला आयरलैंड के एजाबोले चर्च में एक पत्थर 1.5 मीटर तक बढ़ गया था। डेनमार्क में टामरवार्ड नामक एक स्थान है। वहाँ पर भी इसी तरह की एक घटना में एक पत्थर में 3 मीटर यानि कि लगभग दस फुट की वृद्धि दर्ज की गई थी।
पत्थरों के साथ अनेकों रहस्यमयी बातें भी जुड़ी हुई हैं। वैसे भी चट्टानों को खोदने, छेड़ने पर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना ही पड़ता है। सन् 1841 ई. में हियरफोर्ड में डीन मेरेवेदर एवं उनकी टीम सिल्वरी पहाड़ी में खुदाई कर रही थी। तभी उन्हें कुछ विशिष्ट एवं विचित्र पत्थर दिखाई दिए। जब उन्हें खोदकर निकालने का प्रयास किया गया तो अचानक वहाँ पर जबरदस्त तूफान उठा। कई बार के प्रयासों के बावजूद उन पत्थरों को निकाला न जा सका। इससे मिलती-जुलती एक घटना सन् 1940 ई. की है। लेपटर वेल्स के निकट हाबगोबलीन नामक एक प्रसिद्ध पत्थर है। इसे खोदने का प्रयास लेवीस एडवार्ड ने किया था। जैसे ही उन्होंने उस पत्थर पर हथौड़ा चलाया, एक तेज अंधड़ उठ खड़ा हुआ। वह अंधड़ अत्यंत भयावह था और वह जीवनभर लेवीस का पीछा करता रहा।
पत्थरों के संबंध में एक अनोखी बात यह भी है कि कुछ पत्थरों से प्रकाश निकलता है और कुछ पत्थर आपस में वार्त्तालाप भी करते हैं। काउंटमायो के केस्टलवियर में पत्थरों से विनिर्मित एक किला है। वर्ष के विशेष अवसर पर इन पत्थर खंडों से तरह तरह का प्रकाश निकलता है। लेस्टर से पाँच किलोमीटर दूर सिथत हंबला स्टोन की कथा भी बड़ी रोचक है। गरमी की तपती दुपहरी में सुरंग में इस पत्थर के पीछे सूर्य की चमक का आभास होता है।
‘किंग स्टोन’ जो एक घेरे में पड़े रहते हैं। कभी कभी इनमें फुसफुसाहट की आवाजें भी सुनाई देती है। जैसे कई व्यक्ति आपस में धीमी आवाज में बातें कर रहे हों। इस अविश्वसनीय बात को प्रमाणित करने के लिए रोडनी हेल ने 4 अप्रैल 1981 को प्रातः साढ़े नौ बजे अपने अत्यंत संवेदनशील उपकरण द्वारा इस आवाज को रिकार्ड करने का प्रयास किया। उन्हें काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली।
ये समस्त तथ्य सही सत्य प्रमाणित करते हैं कि प्रकृति में कोई पदार्थ पूर्णतः निर्जीव नहीं है। सभी परम सत्ता द्वारा बनाई गई अद्भुत-अनोखी रचनाएँ हैं और सभी में वही परमात्मा संव्याप्त है, जिसके लिए कुछ भी असंभव नहीं। वह कही भी और कभी भी अपनी अनोखी अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर सकता है।