कद नहीं, हमारे आदर्श ऊँचे बनें

May 1998

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असाधारण होना मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति है। सामान्य आदमी ऊँचा उठने पर असामान्य कहलाने लगता है। छोटा आदमी जब बड़ा बनता है, तब उसका खूब स्वागत-सम्मान होता है। इनसान का अपना एक औसत कद है। उसको जब वह पार करता है, तो वह भी आश्चर्य और आकर्षण का केन्द्र बन जाता है।

अमेरिका के रॉबर्ट वैडलो के साथ यही हुआ। जब वह पैदा हुआ, तब एकदम सामान्य था। वजन लगभग 4 किलो ग्राम. था, किन्तु एक वर्ष का होते-होते उसके भार में असामान्य वृद्धि हुई। वह 20 कि.ग्राम. से भी अधिक वजनी हो गया। पाँच वर्ष की अवस्था में उसका कद और वजन दोनों ही असाधारण हो गए। अब उसकी लम्बाई एक औसत व्यक्ति जितनी (5 फुट 4 इंच) थी एवं भार करीब 48 कि.ग्राम. था। देखने में भी वह उस उम्र के बच्चों की तुलना में अधिक वयस्क दिखलाई पड़ने लगा। साढ़े पाँच वर्ष की अवस्था में वह पाठशाला में भर्ती हुआ। वहाँ उसके लिए अलग साइज की बेंच और डेस्क की व्यवस्था करनी पड़ी। वैडलो अन्य बच्चों की तरह सामान्य बुद्धि का बालक नहीं था। वह मेधावी था। उसकी बुद्धिलब्धि (आई.क्यू.) भी दूसरे बच्चों से अधिक थी। इस प्रकार शरीर के आकार-प्रकार के साथ बुद्धि में भी निखार आया।

साढ़े दस वर्ष की आयु में उसकी लम्बाई 6 फुट 3 इंच थी। तब वह पाँचवीं कक्षा में था। अब उसका कद अपने पिता से भी ज्यादा था एवं अपने से बड़े बच्चों को आसानी से पछाड़ सकता था। उसका वजन सामान्य से लगभग साढ़े तीन गुना ज्यादा था।

अपने 12 वें जन्मदिन पर वह 6 फुट 11 इंच लम्बा था। जब 13 वर्ष का हुआ, तो लम्बाई 7 फुट 2 इंच के करीब थी और भार लगभग 116 कि. ग्रा.। 14 वर्ष की वय में वह स्काउट संघ में सम्मिलित हुआ। इस समय उसका कद 7 फुट 6 इंच और वजन 122 कि.ग्रा. था। वह संसार का सर्वाधिक लम्बा स्काउट बन गया। उसकी असाधारण लम्बाई आय का एक उत्तम स्रोत साबित हुई। अब उसे विद्यालय की फीस, पुस्तकें और पोशाक मुफ्त में मिल जातीं। जूते बनाने वाली एक कम्पनी ने उसके साथ यह अनुबंध किया कि वह उसके शोरूम आकर कुछ समय बैठा करे। इसके बदले में कम्पनी उसकी पोशाक समेत पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएगी।

जब उसका 16 वें वर्ष में प्रवेश हुआ, तब उसकी लम्बाई 7 फुट 11 इंच थी और वजन करीब 175 कि.ग्रा.। उस समय उसके मुकाबले का लम्बा व्यक्ति अमेरिका में कोई नहीं था।

18 वर्ष की अवस्था में वह कॉलेज में दाखिल हुआ। उस समय तक उसका कद 8 फुट 4 इंच था और वजन 190 कि.ग्रा.। कॉलेज में उसके अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता। उसे सामान्य छात्रों के लिए बने बेंच और डेस्क का ही इस्तेमाल करना पड़ता। इससे उसे बैठने में परेशानी होती। वह जीवविज्ञान का विद्यार्थी था, अतः जब प्रयोगशाला में जाता, तो वहाँ उसकी असाधारण लम्बाई के आगे में मेज़ की ऊँचाई अत्यन्त बौनी पड़ जाती, अस्तु काफी झुककर उसे वहाँ काम करना पड़ता। इससे उसको बहुत कष्ट होता था।

22 वर्ष की आयु में वह बीमार पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई। तब वह आठ फुट 11 इंच लम्बा तथा लगभग 200 कि.ग्रा. का भीमकाय युवक था। मौत से पूर्व वह रिंगलिंग ब्रदर्स की सर्कस कम्पनी में काम करता था।

उसके एक भाई और दो बहिनें थीं, जो सभी सामान्य आकार-प्रकार के थे। वह ऐल्टन, इलिनाँय, अमेरिका का रहने वाला था। उसकी लम्बाई को आज तक दुनिया का कोई भी व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सका।

वर्तमान समय का सर्वाधिक लम्बा व्यक्ति पाकिस्तान का मोहम्मद आलम चन्ना है। उसका जन्म सिन्ध के एक खादिम परिवार में हुआ। जब वह 10 वर्ष का था, तब तक उसकी वृद्धि बिल्कुल सामान्य ढंग से हुई, किन्तु उसके बाद उसमें अप्रत्याशित तीव्रता आ गई। तीन वर्ष बाद ही वह अपने पिता की लम्बाई को पार कर गया। उसका वर्तमान कद 8 फुट 3 इंच है। जीवित व्यक्तियों में आज वह दुनिया का सबसे लम्बा आदमी है।

आरम्भ में वह सेहवन शरीफ के मजार में खादिम था। वहाँ पर उसे दर्शनार्थियों से काफी उपहार मिल जाते थे, पर यह पर्याप्त नहीं थे। इनसे जीवन की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती थी, इसलिए वह कोई ऐसी नौकरी करना चाहता था, जिससे उसकी जिन्दगी की गाड़ी आसानी से खिंच सके।

शुरू में वह सिपाही बनना चाहता था, लेकिन उसकी वह इच्छा जब पूरी न हो सकी, तो उसने किसी अन्य नौकरी की तलाश करनी प्रारम्भ की। उसने कई पंचतारा होटलों के भी चक्कर लगाये, यह सोचकर कि शायद वहाँ दरबान की नौकरी मिल जाए, पर सफलता नहीं मिली।

जगह-जगह की यात्रा करना उसके लिए एक कष्टसाध्य अनुभव साबित हुआ। बस की दो सीटों के बीच का स्थान इमना अपर्याप्त होता कि सामान्य ढंग से बैठने में भी उसे काफी तकलीफ होती। बस में खड़ा-खड़ा सफर करना उसके लिए सरल नहीं था। कमर और सिर को इस क्रम में उसे बहुत झुकाना पड़ता, इतने पर भी सिर में चोट लगने की संभावना सदा बनी ही रहती। टैक्सी में भी वह राहत महसूस नहीं कर पाता। रिक्शे वाले उसके इस डर से रिक्शे में नहीं बिठाते कि कहीं उनका रिक्शा टूट न जाए। इस प्रकार अपनी असाधारण लम्बाई पर कभी-कभी चन्ना को गर्व अनुभव होता, तो अधिकाँश समय इससे उसको कठिनाई ही उठानी पड़ती। 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' में दुनिया के सबसे लम्बे व्यक्ति के रूप में उसका नाम दर्ज कर लिया गया है। इस समय सरकार की ओर से वह 500 रुपये का मासिक अनुदान पाता है। उसी से किसी प्रकार अपना खर्च चलाता है। यद्यपि यह राशि उसके लिए बहुत अल्प है, पर इतने में ही उसे संतोष करना पड़ता है।

पिछले दिनों वह बीमार पड़ गया। पाकिस्तान में उसके शरीर के अनुपात के उपकरण उपलब्ध न होने कारण उपचार के लिए उसे इंग्लैण्ड भेजने की व्यवस्था की जा रही थी। चिकित्सक यह प्रमाणित कर चुके हैं कि उसकी असाधारण लम्बाई किसी बीमारी का परिणाम नहीं है।

एन्नास्वान नोवास्कोशिया, कनाडा की रहने वाली थी। पैदा होने के एक वर्ष के भीतर उसका वजन 8 कि.ग्रा. हो गया था। 6 वर्ष की अल्पवय में ही वह अपनी माँ जितनी लम्बी हो गयी। 15 वर्ष की अवस्था में उसका कद 7 फुट हो गया। उसके बाद उसकी लम्बाई 6 इंच और बढ़ी। वयस्क होने पर वह 7 फुट 6 इंच थी एवं उसका वजन 181 कि.ग्रा. था। इसी समय उसकी मुलाकात ‘बर्नम म्यूजियम’ के मालिक से हुई। उसे उसने अपनी सर्कस कम्पनी में भर्ती कर लिया। प्रदर्शन के दौरान स्वान को वह 2 फुट 11 इंच ठिगने जनरल टाँम थम्ब के साथ प्रस्तुत करता।

थोड़े वर्ष उपरान्त जब पी.टी. बर्नम की सर्कस कम्पनी बन्द हो गई, तो एन्ना स्वान ने केंचुकी, अमेरिका के मार्टिन वान ब्यूरेन बेट्स से शादी कर ली। 15 वर्ष की उम्र में बेट्स का कद 6 फुट था। वयस्क होने पर उसने सेना में नौकरी कर ली। उस दौरान भी उसकी लम्बाई बढ़ती रही। बाद में 7 फुट 3 इंच पर उसका कद स्थिर हुआ। उसका कुल वजन 219 कि.ग्रा. था।

दोनों का विवाह लंदन के एक प्राचीन गिरजाघर सेंट मार्टिन में सम्पन्न हुआ। उस दौरान एन्ना ने जो गाउन पहन रखा था, वह 91.44 मीटर (100 गज) कपड़े का बना था। इसमें लगभग 51 गज लेस प्रयुक्त हुई थी। दोनों महारानी विक्टोरिया और प्रिंस ऑफ वेल्स के विशिष्ट मेहमान बने। वहाँ उन्हें कीमती उपहार प्रदान किए गए।

एन्ना के दो संतानें हुईं, दोनों ही असाधारण आकार-प्रकार की थीं। जन्म के कुछ काल पश्चात् उनकी मौत हो गई।

फ्रेडकेम्पस्टर का जन्म एवेबरी (इंग्लैण्ड) के विल्टशायर नामक गाँव में हुआ था। वह आरम्भ से ही कुछ असामान्य आकार-प्रकार का था। जब पैदा हुआ, तो उसकी लम्बाई 25 इंच तथा वजन 7.50 कि.ग्रा. था। वह कुल 29 वर्ष जीवित रहा, उस समय उसकी लम्बाई 8 फुट 5 इंच थी।

वह एक माली था। पेड़-पौधों से उसको गहरा लगाव था, इसलिए डेविजेज में एक उद्योगपति के उद्यान में इसने नौकरी कर ली। बाद में उसकी असाधारण कद की चर्चा एक सर्कस कम्पनी के मालिक के कानों तक पहुँची, तो उसने उसे अपने सर्कस में भर्ती कर लिया। स्थान-स्थान पर उसकी नुमाइश होने लगी। इससे शोमैन की आमदनी काफी बढ़ गई। उसने फ्रेड से अनुबन्ध कर लिया और प्रदर्शन हेतु जर्मनी ले गया। तब प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ा हुआ था। उन दोनों को जासूसी के संदेह में कैद कर लिया गया। जब युद्ध समाप्त हुआ, तब उन्हें छोड़ा गया। तब तक फ्रेड का स्वास्थ्य काफी गिर चुका था। वह बीमार चल रहा था। इंग्लैण्ड आकर उपचार से स्वस्थ हो गया, पर ज्यादा दिन ठीक न रह सका। वह पुनः बीमार पड़ा और उसकी मौत हो गई।

स्काटलैंड में केप ब्रेटँन नामक एक द्वीप है। उसका एंगस मैकेस्किल नामक व्यक्ति न सिर्फ भीमकाय था, वरन् उसकी शक्ति भी दैत्य के समान थी। उसका कद 7 फुट 9 इंच एवं वजन 194 कि.ग्रा. था। उसका सीना 70 इंच चौड़ा था। उसकी हथेलियों का विस्तार सामान्य से दुगुना था। वे लगभग 6 इंच चौड़ी थीं। उसके पैर के पंजे भी असामान्य रूप से बड़े थे और उसी के अनुपात में उसके जूते भी। वे कितने बड़े रहे होंगे, इसका अनुमान इसी घटना से लगाया जा सकता है कि एक बार उसके एक जूते में किसी बिल्ली ने बच्चे जन दिए। इक्कीस दिनों तक वह उन्हें उसी में पालती रही। इस दौरान उसे स्थान की कोई कमी महसूस नहीं हुई।

एंगस को एक बार एक मुक्केबाज से चुनौती मिली। उसने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। इस पर वह बढ़ चढ़ कर बातें करने और उसे कायर कहने लगा। लोगों को भी ऐसा प्रतीत हुआ कि अपने से सर्वथा कम वजन (114 कि.ग्रा.) वाले मुक्केबाज से शायद वह डर गया। इन्हीं कारणों से न चाहते हुए भी एंगस को मुकाबला स्वीकार करना पड़ा।

केप ब्रेटँन में एक निश्चित तिथि को दो अखाड़े में आमने-सामने थे। उपस्थिति हजारों की भीड़ ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। रेफरी ने घोषणा की कि यह मुकाबला अपने ढंग का अनोखा है और शायद इतिहास में प्रथम, जिसमें एक गैर-मुक्केबाज किसी मुक्केबाज से भिड़ रहा हो।

रेफरी ने सीटी बजायी। मुकाबले से पूर्व हाथ मिलाने के लिए दोनों ने अपनी-अपनी हथेलियाँ आगे बढ़ायी। अभी पल भी नहीं बीता था कि वह शेखीखोर मुक्केबाज तड़पता हुआ नीचे गिर पड़ा। उसके दाहिने पंजे से खून टपक रहा था। पंजा बुरी तरह क्षत-विक्षत था। उसमें कई हड्डियाँ चूर-चूर हो गई थीं। उसका मुक्केबाज जीवन सदा के लिए बर्बाद हो गया। एंगस ने उसकी हथेली को इस बुरी तरह दबाया कि अस्थियाँ चरमरा उठीं और पंजा बेकार हो गया।

एक अन्य मौके पर महारानी विक्टोरिया ने उसे अपने यहाँ आमंत्रित किया और शक्ति-प्रदर्शन की उससे इच्छा व्यक्त की। एंगस ने दरबार में इधर-उधर देखा। जब उसे कोई भी ऐसी वस्तु दिखलाई नहीं पड़ी, जिसके द्वारा वह अपनी ताकत दिखा सके तो, उसने दायें पैर से नंगे फर्श को भरपूर शक्ति के साथ दबाना शुरू किया। जब वहाँ से उसने अपना पैर हटाया, तो सब यह देखकर हैरान रह गए कि वहाँ पाँव का स्पष्ट निशान इस तरह बन गया, जैसे वह सीमेंट का नहीं, मिट्टी का फर्श हो। उसके इस करतब पर महारानी ने उसको बहुमूल्य उपहार भेंट में दिए।

अपने उत्तरार्द्ध जीवन में वह एक सर्कस कम्पनी में सम्मिलित हो गया। उस दौरान उसके प्रदर्शन बड़े ही रोचक हुआ करते। वह अक्सर एक बौने को अपनी बायीं हथेली में उठाए रहता। वहाँ वह तरह-तरह की मुद्रायें बनाकर लोगों का मनोरंजन किया करता।

उक्त नुमाइश-यात्रा के दौरान एक बार उसने ऐसा प्रदर्शन किया कि वह जानलेवा बन गया। हुआ यों कि न्यूयार्क में एक व्यक्ति ने उसके सामने एक हजार डॉलर की एक शर्त रखी और उससे एक भारी-भरकम वजन उठाने को कहा। लगभग एक हजार किलोग्राम के उस लौह पिण्ड को उसने सिर से ऊपर उठा तो लिया, पर असावधानीवश उसमें लगी एक वजनदार जंजीर उसके कंधे पर आ गिरी और कंधा जख्मी हो गया। यही जख्म अन्ततः उसकी मृत्यु का कारण बना।

चार्ली बायर्न आयरलैण्ड का रहने वाला था। उसका कद 8 फुट 2 इंच था। जिन दिनों प्रदर्शन के निमित्त वह लंदन आया हुआ था, उन्हीं दिनों उसकी भेंट एक ब्रिटिश सर्जन एवं शरीर शास्त्री जॉन हण्टर से हुई। वह उसके दैत्याकार से बहुत प्रभावित हुआ। उसकी इच्छा थी कि मृत्यु के बाद बायर्न का कंकाल उसे मिल जाए, इसलिए वह उससे इस संबंध में कोई अनुबंध करना चाहता था, पर सफलता नहीं मिली। बायर्न ने कुछ ऐसा सुन रखा था कि मृत्यु उपरान्त जो शव वह प्राप्त करता है, उसकी दुर्गति करके रख देता है। उसे उबाल-उबाल कर उसके माँस को हटाता है। इसके कारण हन्टर से उसे घृणा हो गयी थी। मृत्यु के बाद वह अपनी लाश हन्टर को देने को तैयार न था, जबकि हण्टर येन-केन-प्रकारेण उसकी प्राप्ति सुनिश्चित कर लेना चाहता था। हण्टर के दुराग्रह और प्रयत्न को देखकर वह सशंकित हो उठा। उसने अपने सम्बन्धियों से इस बात का वचन ले लिया कि मौत के पश्चात् उसकी काया को समुद्र में डाल दिया जाए, पर शायद उसकी नियति में चिकित्सक के म्यूजियम की शोभा बढ़ाना ही लिखा था।

एक दिन वह बीमार पड़ा और उसकी मौत हो गई। हण्टर ने 500 पौंड में उसे खरीद लिया और अपनी जिज्ञासा शान्त करने एवं यह देखने के लिए कि उसमें क्या विशिष्टता थी, स्थान-स्थान पर चीरा। बाद में उसे उबालकर उसके अस्थिपञ्जर को पृथक् कर लिया और अपने म्यूजियम में टाँग दिया। हण्टर के निधन के बाद वह म्यूजियम ‘रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स’ के संरक्षण में चला गया, जहाँ बायर्न के कंकाल को आज भी देखा जा सकता है।

एक अन्य भीमकाय व्यक्ति पैट्रिक काँटर था। वह भी आयरलैण्ड का निवासी था एवं चार्ली बायर्न की तर्ज पर स्वयं को ‘ओ ब्राइन’ कहता था। उसे इस बात का गर्व था कि वह आयरलैण्ड के बादशाह ब्राइन बोरिड की वंशावली से है। वह किन्सेल, आयरलैण्ड में पैदा हुआ था। उसकी लम्बाई 8 फुट 3 इंच थी, जबकि पूर्ववर्ती काँटर ब्राइन 8 फुट लम्बा था। आरम्भ में बायर्न मेहनत-मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करता था, किन्तु अपनी तीव्र वृद्धि के कारण जल्द ही लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन गया। इससे उसे काम करने में अड़चन होने लगी। हमेशा लोग उसको घेरे रहते, अस्तु मजदूरी का काम उसे त्यागना पड़ा उसके पिता ने उसे एक सर्कस कम्पनी में भर्ती करवा दिया। वहाँ नुमाइश से काफी आय होने लगी। जिस कम्पनी में वह प्रदर्शन कार्य करता था, उसमें काउण्ट बोरोलाब्स्की नामक एक बौना भी था। कहते हैं कि एक बार एक डिनर के अवसर पर काँटर ने जब अपने कंधे से लटकते थैले के अन्दर हाथ डाला तो उसमें से काउण्ट बोरोलाब्सकी बाहर निकला था। फ्लोरिडा के रिंगलिंग म्यूजियम में आज भी एक तस्वीर मौजूद है, जिसमें काँटर और काउण्ट दोनों को साथ-साथ देखा जा सकता है। चित्र में काउण्ट काँटर के घुटनों से भी नीचा है। सन् 1806 में ओ ब्राइन की जब मृत्यु हुई, तो उसकी इच्छानुसार उसको 12 फुट गहरी कब्र में दफनाया गया।

विलफर्ड थामसन 8 फुट 7 इंच लम्बा था। वह विन्सकान्सिन, अमेरिका का रहने वाला था। उस जमाने में दुनिया का सर्वाधिक लम्बा होने का गौरव उसे प्राप्त हुआ। वह एक शिक्षक था। बाद में एक सर्कस कम्पनी में भर्ती हो गया। 12 वर्ष तक वहाँ काम करता रहा। यहीं रहते हुए उसने मेरी बारस से शादी कर ली, तत्पश्चात् सर्कस का काम छोड़ दिया और सेल्समैन की नौकरी कर ली। फिर वकालत की पढ़ाई शुरू की एवं मार्क्वेट विश्वविद्यालय से लाँ की डिग्री प्राप्त कर पोर्टलैण्ड, अमेरिका में वकालत आरम्भ की। 45 वर्ष की आयु में उसका देहान्त हो गया।

कद का अपना महत्व है। उससे कुछ यश-ख्याति तो अर्जित की जा सकती है, महानता नहीं। मनुष्य महान है। उसे अपने आन्तरिक कद को इतना ऊँचा उठा लेना चाहिए, जिसके आगे काया का बाह्य डील–डौल तुच्छ, नगण्य और बौना साबित हो। कद बढ़ाने के लिए आज हारमोन्स के इंजेक्शन दिए जाते हैं एवं ऊँची एड़ी के जूते पहनकर उपहासास्पद स्थिति में चलते पुरुषों व महिलाओं को देखा जा सकता है। इस कद की ऊँचाई में रखा क्या है, जिसमें शरीर को चलने में कठिनाई भी हो व सामान्य जीवनक्रम भी अस्त-व्यस्त हो जाए। वस्तुतः ऊँचाई आन्तरिक आदर्शों की होनी चाहिए, चिन्तन व अपने संकल्पों की होनी चाहिए। यदि प्रयास उस दिशा में किए जाएँगे तो आध्यात्मिक, भौतिक सभी क्षेत्रों में सफलताएँ हस्तगत होती चली जाएँगी।


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