सज्जन (Kahani)

May 1998

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बादशाह को एक नौकर की आवश्यकता थी। तीन उम्मीदवार सामने पेश किये गये।

बादशाह ने पूछा-यदि मेरी और तुम्हारी दाढ़ी में साथ-साथ आग लगे तो पहले किसकी बुझाओगे?”

एक ने कहा-पहले आपकी बुझाऊँगा।” दूसरे ने कहा-पहले अपनी बुझाऊँगा।” तीसरे ने कहा-एक हाथ से अपनी और दूसरे हाथ से आपकी बुझाऊँगा।”

बादशाह ने तीसरे आदमी की नियुक्ति कर दी और दरबारियों से कहा-जो अपनी उपेक्षा करके दूसरों का भला करता है वह अव्यावहारिक है। जो स्वार्थ को ही सर्वोपरि समझता है,वो नीच है और जो अपनी और दूसरों की भलाई का समान रूप से ध्यान रखता है, उसे ही सज्जन कहना चाहिए। मुझे सज्जन की आवश्यकता थी, सो उस तीसरे आदमी की नियुक्ति की गई।”


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