भगवान बुद्ध मगध राज्य के श्रीपाल नगर में प्रवचन कर रहे थे। आनन्द ने प्रश्न किया-भगवन्! आपके उपदेशों पर बहुत थोड़े लोग चलते हैं, फिर भी आप निराश नहीं होते। तथागत ने सरल भाव से कहा-वत्स सुधारक का कर्तव्य सन्मार्ग की प्रेरणा देना है, सफलता का मूल्याँकन करना नहीं, जिन्हें सफलता की कामना होती है, वे सच्चे सन्त नहीं होते।” आनन्द इस उत्तर से अति प्रसन्न हुआ।