एक व्यक्ति सन्त सुकरात के पास गुरुदीक्षा लेने पहुँचा। सुकरात ने उसे देखकर कच्चे घड़े की ओर इशारा किया और कहा-इस बर्तन में कुएँ से पानी ला दो? ”उस आदमी ने कहा-महात्मन् आपको इतना भी पता नहीं कि इसमें पानी नहीं टिकेगा। ”सुकरात हँसते हुए बोले-यही तो मैं भी कहता हूँ कि मलिन विचारों वाले हृदय में ईश्वर भक्ति कैसे रहेंगी?”