अमीर वह है जो आमदनी से कम खर्च करता है। दरिद्र और दुखी वह है जो आँखें मूँदकर खर्च करता है। अगले दिनों उसे अनर्थ भी करने पड़ेंगे।
धर्म वह है जो मनुष्य की पशुता पर नियमन कर सके। जिसमें रोग मिटाने की क्षमता न हो वह उपचार किस काम का।