इक्कीसवीं सदी अपनी-अपनी

April 1997

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मिलेनियम-सहस्राब्दी-स्वर्णयुग-सतयुग कहें या इक्कीसवीं सदी। 3600 सेकेंड प्रतिघण्टे की रफ्तार से समय बीतता जा रहा है और वह जादुई क्षण निकट आ रहा है जब अन्तरिक्ष गणना-यंत्र (कोडोमीटर) में तीन शून्य का स्थान होगा। सभी उस क्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कोई इसे ‘फादर टाइम्स बिग डे’ नाम से सम्बोधित कर रहा है, तो कोई चतुर्विद विचारशून्य काल। जो भी हो सहस्राब्दी का नववर्ष, नई दशाब्दी, इक्कीसवीं से सभी की अपेक्षा है, कर रहे हैं-उज्ज्वल हो-स्वर्णिम हो, हितकारी हो, परिवर्तनकारी हो, सतयुगी हो एवं ऐसा क्षण हो जो सहस्राब्दी की कलुष-कालिमा को धो डाले। स्वर्णिम प्रकाश की किरणों-सा हो, जिसमें सहस्र वर्षों का अंधकार एक क्षण में सिमट जाये और नवप्रभात, नव सूर्योदय की लाली से यह विश्व-वसुधा जगमगा उठे। बीसवीं शताब्दी के 17 वर्ष बीत चुकें हैं-तीन वर्ष बीतना शेष है। सहस्राब्दी से जुड़ी सभी घड़ियों में 39 दिसम्बर, 1999 का अलार्म लग चुका है, जो समय आते ही घनघना उठेगा। इक्कीसवीं सदी का आकलन करने वाले ‘द कमिंग आफ.....और द क्रेश आफ.....विषय पर अपने-अपने विचार अभिव्यक्त कर रहे हैं। कुछ कालिमापूर्ण सदी का आकलन कर रहे हैं, तो कुछ उसे स्वर्णिम बता रहे हैं। सहस्राब्दी की वैज्ञानिक प्रगति के आधार पर कुछ लेखक मानवता को चेतावनी दे रहे हैं तो कुछ समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत कर रहे हैं। शहरीकरण एवं पर्यावरण से जुड़े वैज्ञानिक मनुष्यता को डरा-धमका भी रहे हैं कि प्रदूषण के कारण साँस लेना भी मुश्किल होगा, किन्तु अधिकाँश वैज्ञानिक, दार्शनिक, समाजशास्त्री आने वाली सहस्राब्दी को उज्ज्वल एवं स्वर्णिम बता रहे हैं।

अवसरवादी, व्यापारी, उद्योगपति भी इस सहस्राब्दी ‘मिलेनियम’ की तरंग को पकड़ रहे हैं और उसे भुनाने की योजनाएँ अभी से बना रहे हैं। सौंदर्य प्रसाधनों में ‘मिलेनियम’ नाम प्रचलित हो रहा है। न्यूयार्क में स्थित सौंदर्य प्रसाधन एवं सुन्दरता बढ़ाने वाला होटल ध्यानाकर्षण के लिए ‘मिलेनियम’ शब्द का विन्यास ‘मिलेनियम ब्यूटी’ के रूप में कर रहा है। न चिपकने वाले रसोई उपकरण बनाने वाली कम्पनी ने ‘फार्वर वेयर मिलेनियम’ नाम से प्रचलित नया उत्पादन उपभोक्ताओं के सामने प्रस्तुत किया है। म्यूचुअल फंड का नाम ‘न्यू मिलेनियम’ भी है। पत्रिका, डायरी, काफीमग, टी शर्ट, जूते, टाई, टोपी, बैंक योजनाएँ एवं हजारों उत्पादन इस नाम से प्रचलित हो रहे हैं। ‘थर्ड मिलेनियम रिसर्च इनकार्पोरेट सिएटल’ द्वारा किसी व्यक्ति के जीन्स को काँच के कैप्सूल में सुरक्षित रखने की योजना बना रहे हैं। वे कहते हैं आप अपने जीन को बीसवीं शताब्दी से इक्कीसवीं शताब्दी की यात्रा करायें। क्रिस्लर द्वारा एक आधुनिकतम कार बनायी गयी है, जिसका नाम रखा गया है ‘मिलेनियम’। मिसेज वाटरु इक्कीसवीं सदी को ‘सायकिक वाटर फाल’ की संज्ञा देती हैं। अमेरिकी साहित्यिक समीक्षक ‘हेराल्ड ब्लूम’ ने अपनी नई पुस्तक ‘आनेन आफ द मिलेनियम’ में मधुर भक्तिव्यता को स्पष्ट किया है। मैक्डोनाल्ड, टाकोनेल, पीजाहट एवं व्हाइटहेन जैसे सुप्रसिद्ध रेस्तराओं में एक विशेष प्रकार के व्यंजन बनाने एवं उस 31 दिसम्बर, 1999 की रात्रि को एक साथ सभी केन्द्रों में देने की योजना बना रही है, जिसका नाम रखा गया है। ‘मिलेनियम व्यंजन’।

रिचार्ड एडोस ने ‘एन्नेडामिनी एडी 1000’ नामक किताब लिखी है, इसमें उनने बताया है कि कुछ लाख वर्षों बाद यह पृथ्वी राख में बदल जाएगी और नई सृष्टि नयी प्रकृति के साथ प्रारंभ होगी, जिसे स्वर्णिम युग, सतयुग, दैवी युग की उपमा देंगे। जो भी हो अभी तक जो नहीं घटा वह होने जा रह है। सभी आकलन कर रहे हैं, भविष्य के बारे में बता रहे हैं। भविष्यवाणी को मात्र ‘भयावह कल्पना’ कह रहे हैं। इससे पता नहीं लोग कितना भयभीत हो रहे हैं, लेकिन नया युग, नई सहस्राब्दी कम्प्यूटर से जुड़ी दुनिया के लिए भय का विषय बना हुआ है। उसकी योजना ध्वस्त हो रही है, क्योंकि वे वर्ष को दो अंकों से प्रदर्शित करते हैं, न कि चार अंकों से। जैसे मार्च की तेहसवीं तारीख को रविवार है। अतः कम्प्यूटर लिखेगा 23-3-17 स्हृ । लेकिन कम्प्यूटर प्रोग्राम में पहले के दो अक्षर वर्ष में पढ़े नहीं जाते हैं जैसे 1997 में जब 2000 आयेगा तब दो हजार में 1-1-00 आयेगा। अधिकाँश बड़े कम्प्यूटर में दो अंकों में 11 बड़ी संख्या है-तब सुपर मार्केट में बिकने वाली ब्रेड पर तिथि अंकित होगी 01-01-00 अर्थात् सौ साल पुराने हैं, इसे फेंक दें। अधिकाँश कम्प्यूटरों में जनवरी 1-1900 सोमवार के स्थान पर शनिवार आयेगा, इसका अर्थ है स्कूल की घंटी रविवार को बज उठेगी। कम्प्यूटर रेल-समय, पत्रिका सभी पूरी तरह बदल जाएँगी। किन्तु क्रेटिड कार्ड के विवरण में 20 लाख से ज्यादा रुपया देने का संकेत होगा। यदि कोई छात्र 1992 में जन्मा हो और किन्डर गार्डन में पढ़ने के लिए आयेगा। उसका नाम डाटाबेस में डाल दिया गया हो तो 2000 में ढूँढ़ने पर उसे 108 वर्ष का बतायेगा न कि 8 वर्ष का। नई सहस्राब्दी 2009 से चालू हो रही है, न कि 2000 से। इस गणितीय सत्य को वैज्ञानिकों ने स्वीकारा, जिससे यह सहस्राब्दी वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों के लिए समस्या खड़ी किए हुए है। क्योंकि शून्य का कोई वर्ष नहीं है। यह दुनिया एक बी.सी. से एक ए.डी. में गई। इसलिए 2000 वर्ष आगे चलकर ए.डी. 2009 है, न कि ए.डी. 2000।

यही गणित की गड़बड़ी अब सभी के लिए परेशानी का कारण बन रही है। कुछ भी हो जो भी कुछ होने जा रहा है, ऐतिहासिक है। इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य का नारा युगदेवता ने दिया है। वह इक्कीसवीं सदी चैत्र माह की प्रतिपदा से विक्रम संवत्सर आरंभ होने के साथ 54 वें वर्ष में प्रवेश कर गयी। यह इक्कीसवीं सदी तो अँग्रेजों की है-आज की दुनिया की है। वे इसे अपनी तरह से मनाने की सोच रहे है, पर अध्यात्मवादी इसे उज्ज्वल भविष्य की पूर्ववेला मानते हुए युग संधि महापुरश्चरण की महापूर्णाहुति रूप में मनाने को संकल्पित हैं। आप भी सोचिए कि आप किस श्रेणी में आते हैं?


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