सज्जनता (Kahani)

April 1997

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इंग्लैण्ड का सम्राट जेम्स अपने कोष में अधिक से अधिक धन एकत्र करने के लिए धन लेकर उपाधियाँ वितरित किया करता था। वह जानता तो था मात्र उपाधि प्राप्त कर लेने से कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता, परन्तु मूर्खों के तुच्छ अहंकार की संतुष्टि के लिए वह ऐसा करके अपनी भी स्वार्थ सिद्ध करता रहा । एक दिन एक व्यक्ति ने उससे कहा-”महाराज, मुझे सज्जन की उपाधि दे दीजिए।” जेम्स ने उत्तर दिया-”मैं तुम्हें लार्ड, ड्यूक, दार्शनिक, विचारक तो बना सकता हूँ। लेकिन सज्जन नहीं बना सकता।” यह सच है, कि सज्जनता अच्छे संस्कारों से पैदा होती है, उसे खरीदा नहीं जा सकता।


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