आँवलखेड़ा आयोजन की कोई वार्षिकी नहीं मनायी जा रही है-
परिजनों को सूचनार्थ निवेदन है कि इस पुनर्गठन वर्ष से बड़े आयोजनों की वार्षिकी के आयोजन को निरस्त किया जा रहा है। अश्वमेधों आदि की वार्षिकी मनाने की एक परम्परा बन जाने से पूर्व घोषित पाँच वार्षिक आयोजनों-बसंत पंचमी, गायत्री, जयंती, गुरुपूर्णिमा एवं चैत्र-आश्विन नवरात्रि पर्वों की महत्ता पर प्रभाव पड़ने लगा था एवं सभी पर अतिरिक्त आर्थिक भार के साथ चंदा संग्रह की प्रवृत्ति बढ़ने की आशंका पनपती दीख रही थी। यही देखते हुए आँवलखेड़ा आयोजन (प्रथम पूर्णाहुति) को स्थानीय स्तर पर ही हर पूर्णिमा पर मना लिया जाएगा। उस दिन परिजन अपने-अपने स्थानों पर 108, 1008, या 2000 वेदी दीपयज्ञ आयोजित कर इसे अपने ही स्तर पर आयोजित करें।
ऊर्जा अनुदान सत्र अब चैत्र नवरात्रि संवत् 2054 तक चलेंगे-
पूर्व में घोषणा की गयी थी कि कुल चौबीस ऊर्जा अनुदान सत्र 29 दिसम्बर, 1996 तक ही चलेंगे किंतु उनकी बढ़ती माँग व प्रत्येक में तीन हजार से अधिक की संख्या को देखते हुए अधिक से अधिक को लाभान्वित करने हेतु इन्हें 1997 की चैत्र नवरात्रि तक बढ़ा दिया गया है। अब 1997 में भी संवत् 2054 के चैत्र मास शुभारंभ तक 11 अप्रैल तक अर्थात् 11 अतिरिक्त सत्र सम्पन्न होंगे। आगामी वर्ष नवरात्रि 8 से 16 अप्रैल की अवधि में है। सभी परिजन इन सत्रों का लाभ ‘शाँतिकुँज’ के इस ‘रजत जयंती वर्ष’ में ले सकते हैं।
*समाप्त*