संयम के बिना सन्तुलन नहीं रहता। सन्तुलन के अभाव में जीवन सुनियोजित नहीं बनता। इसके बिना प्रगति सम्भव नहीं। जो प्रगतिशील नहीं वह जीवन मृतक के समान है।