विदुषी मदलसा ने अपने इच्छानुरूप स्वभाव के बच्चे ढालने आरम्भ किए। वे ब्रह्मज्ञानी बच्चे चाहती थीं। उसी विशेषता वाले सभी बालक जन्मे। वे सभी ब्रह्मज्ञानी थे। राजा ने मदालसा से कहा-”एक पुत्र राजकाज चलाने के लिए भी तो चाहिए। इसलिए एक बालक राजर्षि स्तर के लिए भी जन्म दो।” मदालसा ने उस बार वैसा ही प्रयत्न किया और बालक प्रतापी राजा बना।
माता जैसा चाहे उसी के अनुरूप संतान को जन्म देने की सामर्थ्य रखती है।